नई दिल्ली.  एलजी वीके सक्सेना ने जेल नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी. इससे बुजुर्ग दोषियों की समय पूर्व रिहाई का रास्ता साफ हो गया. इस संशोधन से 70 वर्ष से अधिक उम्र के वृद्ध या अशक्त कैदियों को लाभ होगा जो अपनी वास्तविक सजा का कम से कम 50 प्रतिशत काट चुके हैं. यह संशोधन उम्रकैद या मौत की सजा काट रहे दोषियों, देशद्रोह, आतंकवाद, पॉक्सो आरोपों के तहत दोषी ठहराए गए लोगों पर लागू नहीं होगा. बीमार बुजुर्ग कैदियों की समय से पहले रिहाई के कारण तिहाड़, मंडोली और रोहिणी जैसी जेलों में भीड़ कम होगी.

इस संशोधन का सबसे ज्यादा लाभ 70 साल से अधिक उम्र वाले उन बुजुर्ग और अशक्त कैदियों को मिलेगा, जो कम से कम अपनी आधी सजा पूरी कर चुके हैं. हालांकि, यह उन दोषियों पर लागू नहीं होगा, जिन्हें उम्र कैद या मृत्यु दंड की सजा मिली है या जिन्हें देशद्रोह, आतंकवाद, एनडीपीएस एक्ट, पोक्सो एक्ट समेत अन्य गंभीर धाराओं में सजा सुनाई गई हो.