कपिल शर्मा, हरदा। सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोल रहा है। निर्वाचन आयोग से प्राप्त मद की राशि में जिला पंचायत के कर्मचारी ने लगाई सेंध। पिछले लोकसभा चुनाव में स्वीप कार्यक्रम के तहत मतदाताओं को जागरूक करने एक गीत लिखने के लिए 29 हजार 500 रुपये भुगतान का मामला सामने आया है।
एक गीत लिखने के नाम पर महिला बाल विकास विभाग के सहायक संचालक राहुल दुबे ने 29 हजार 500 रुपये जिला पंचायत के निर्वाचन मद से लिये है। यह राशि का भुगतान जिला पंचायत के लेखापाल प्रदीप बरकडे ने दुबे के खाते में किया है। जबकि यह राशि क्यों दी गई इसका कोई वर्क आर्डर सहायक संचालक के पास नहीं है। इस घोटाले में जिला पंचायत के लेखापाल ने चुनाव में प्रचार प्रसार करने के नाम पर निर्वाचन आयोग को चूना लगा दिया है। यह जानकारी आईटीआई के माध्यम से निकलकर सामने आई है। जिसमें लेखापाल ने 2019 के विधानसभा चुनाव में एक गीत लिखने के लिए महिला बाल विकास विभाग के सहायक संचालक को 29 हजार 500 रुपये का भुगतान कर रहे है। ईपीओ के माध्यम से किए गए इस भुगतान में तत्कालीन जिला पंचायत सीइओ लोकेश कुमार जांगिड़ के भी हस्ताक्षर है। सूत्रों के मुताबिक अनुभवी लेखापाल प्रदीप बरकडे द्वारा विभाग प्रमुख को जानकारी के अंधेरे में रखकर मनमर्जी से फर्जी बिलों पर हस्ताक्षर करवा कर राशि का भुगतान कर अपना हिस्सा ले रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां निर्वाचन आयोग से प्राप्त राशि की आहरण कर लेखापाल ने चुनाव आयोग को ही चूना लगा दिया।
इस मामले में जिला पंचायत के लेखपाल प्रदीप बरकड़े का कहना है कि महिला बाल विकास के सहायक संचालक राहुल दुबे को लोकसभा निर्वाचन में मतदाताओं को जागरूक करने गीत लिखने एवं तैयार करने के लिए निर्वाचन मद से 29 हजार 500 का भुगतान ईपीओ के माध्यम से किया है। यह भुगतान तात्कालीन सीईओ लोकेश जांगिड़ के आदेश पर किया है।
महिला बाल विकास के सहायक संचालक राहुल दुबे से पूछा गया तो उनका कहना है कि चुनाव में गीत लिखने और गाने के नाम पर मेरे द्वारा कोई राशि नहीं ली गई है। यह कार्य नि:शुल्क किया गया है। चुनाव में प्रचार – प्रसार के लिए एक निजी स्टूडियों को भुगतान किया गया था। जिला पंचायत के तात्कालीन सीईओ लोकेश जागिड ने मौखिक निर्देश दिए थे।
जिला पंचायत के वर्तमान सीईओ रामकुमार शर्मा का कहना है कि निर्वाचन आयोग के चुनाव मद में प्राप्त राशि का उपयोग बेहद सावधानी से साथ किया जाना चाहिए। किसी भी स्थिति में यह राशि किसी भी शासकीय कर्मचारी के खाते में डाला जाना एक गंभीर मामला है। चूंकि मामला चुनाव से जुडा है, इसकी गंभीरता से जांच की जाएगी।
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