पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के तीन तहसील इस बार सूखे के दायरे में आ गए हैं. इस बार जिले में 21 फीसदी कम बारिश हुई है, जिसमें सबसे कम अमलीपदर में43 प्रतिशत व देवभोग तहसील में 37 प्रतिशत कम बारिश हुई है. राजस्व व कृषि विभाग द्वारा सयुक्त रूप से तैयार रिपोर्ट के मुताबिक देवभोग तहसील में 23496 हेक्टर में खेती हुई है, जिसमें 20174 हेक्टयर में धान की फसल ली गई है.

कम बारिश से टेंशन में अन्नदाता

रिपोर्ट के मुताबिक 3000 हेक्टर में रोपाई और 14000 हेक्टयर में बुआई की गई है. अगस्त माह तक इलाके में इस साल महज 509.6 मि मि वर्षा दर्ज किया गया है, जो पिछले साल से 300 मिली कम है.

कृषि विभाग की संयुक्त रिपोर्ट मांगी गई

अपर कलेक्टर अविनाश भोई ने कहा कि संभावित प्रभावित तहसीलों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है. देवभोग, अमलीपदर व मैनपुर तहसील इसमें शामिल हैं. सभी एसडीएम से राजस्व और कृषि विभाग की संयुक्त रिपोर्ट मांगी गई है. 30 सितंबर तक गिरदावरी होना है. इसके बार फसल की वास्तविक रिपोर्ट का आंकलन हो सकेगा. रिपोर्ट शासन को भेजा जाएगा.

2015 में थे ऐसे हालात, सूखा घोषित नहीं हुआ

अनियमित बारिश से आंकड़ा भले ही बढ़ा दिख रहा हो, लेकिन किसानों की माने तो इस बार 38 नही 60 फीसदी बारिश कम हुई है, जो हुई भी तो किसी काम का नहीं था. आज देवभोग तहसीलदार गेंद लाल साहू को सूखा घोषित करने की मांग को लेकर गिरशुल के किसानो ने ज्ञापन दिया.

देवभोग के आसपास की जमीन प्यासी की प्यासी

किसान भुवेंद्र मांझी, पूरन सिंह मांझी ने बताया कि 2015 में भी ऐसी नौबत आई थी. बारिश सरकारी रिकॉर्ड में जितना दर्ज था उतना जमीन पर नहीं गिरा. खंड वर्षा के कारण तहसील मुख्यालय में बारिश होते ही पैमांना चढ़ जाता था, लेकिन देवभोग के आसपास की जमीन प्यासी की प्यासी थी.

अधिकतर फसल चौपट

किसानों ने कहा कि अधिकतर फसल चौपट हो गया है. समय पर रोपा बीयासी तक नही हुआ,खेतो में दरार पड़ गए हैं।अगस्त के पहले सप्ताह के बाद से गिरा बारिश कोई काम नहीं आया. जले फसल को मवेशी के हवाले कर दिया गया है. आगे अब बारिश भी हुई तो किसानों के काम का नहीं होगा. किसानों के पास आंसू बहाने के अलवा कोई चारा नहीं था. सूखे को लेकर मैनपुर व अमलीपदर तहसील में भी किसानों ने ज्ञापन सौंपा है.

30 गुना बढ़ गए फसल बीमा कराने वाले कृषक

बारिश के नखरे देखकर किसानों ने फसल प्रभावित होने का अंदाजा अगस्त माह में लगा लिया था. ऋणी किसानों का बीमा सहकारी बैंक से मिलने वाले लोन के समय ही हो जाता है, लेकिन अऋणी किसानों का फसल बीमा उनके स्वेक्षा पर निर्भर रहता है.

आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले सीजन जिले के 5 तहसील में महज 501 लोगों ने 1400 आवेदन फार्म भरा था. इस बार 30 गुना ज्यादा कृषक यानी 6 हजार किसानों ने 15677 आवेदन बीमा के लिए किया है. इनकी अंतिम तारीख 15 अगस्त तक निर्धारित थी, लेकिन 15 के बाद हालात बिगड़ते देख और भी किसानों को फसल बीमा के लिए चक्कर लगाते देखा गया था.

जिले में सर्वाधिक बारिश राजिम में

राजस्व विभाग के रिपोर्ट के मुताबिक जिले के राजिम तहसील में 120% ,गरियाबंद में 106%,छुरा में 85%,मैनपुर में 71%,देवभोग में 63%, अमलीपदर में केवल 57% बारिश रिकार्ड किया गया है.

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