लक्षिका साहू, रायपुर। EOW के नोटिस पर एजाज ढेबर का बयान सामने आया है. उन्होंने मतदान से ठीक पहले इस समन को राजनीति से प्रेरित बताया है. एजाज ढेबर ने कहा कि न इतने दिनों से कोई नोटिस भेजा गया न ही चालान में मेरा नाम है. इसके बावजूद चुनाव से ठीक पहले ये किया गया है. इससे स्पष्ट है कि ये राजनीति से प्रेरित है.

उन्होंने जांच में पूरा सहयोग करने की बात कहते हुए कहा कि मैंने कोई अपराध नहीं किया है. जैसा बोला जाएगा वैसा करूंगा, जांच में पूरा सहयोग करूंगा.

बता दें कि जनवरी 2024 में ED ने राज्य की जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू-एसीबी में एफआईआर दर्ज कराई थी. ED ने एफआईआर के लिए दिए अपने आवेदन में कहा था कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी एपी त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए दो हजार करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले को अंजाम दिया है. ईओडब्ल्यू-एसीबी ने जांच शुरू करते हुए डुप्लीकेट होलोग्राम का खुलासा किया था. अनवर ढेबर की जमीन खोदकर बड़े पैमाने पर डुप्लीकेट होलोग्राम निकाले गए थे. अब ढेबर परिवार से पूर्व महापौर एजाज ढेबर और उनके करीबी रिश्तेदारों को तलब किया गया है.

जेल में पूर्व आबकारी मंत्री

हाल ही में शराब घोटाला मामले की जांच कर रही ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के ठिकानों पर दबिश देकर उन्हें हिरासत में लिया था. कवासी को कोर्ट में पेश कर उनकी रिमांड ली गई थी. कवासी लखमा फिलहाल जेल में है. ED ने अपने बयान में यह कहा था कि लखमा को हर महीने घोटाले क दो करोड़ रुपए कमीशन दिया जाता था.

क्या है शराब घोटाला?

तत्कालीन भूपेश सरकार में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है, जिसमें रायपुर महापौर रहे एजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर अवैध वसूली करता है. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को पीएमएलए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. आयकर विभाग से मिले दस्तावेज के आधार पर ED ने जांच के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया था.

ED ने अपनी चार्जशीट में बताया था कि किस तरह एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के ज़रिये आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया. ED ने चार्जशीट में कहा था कि साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये भ्रष्टाचार किया गया, जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ.