हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में साल 2018 में सामने आए शराब घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुरू कर दी है। यह घोटाला 42 करोड़ रुपये से ज्यादा का बताया जा रहा है। ED ने आबकारी कमिश्नर कार्यालय से इस घोटाले से जुड़ी जानकारी मांगी है।

कब हुआ घोटाला

साल 2015-2018 के बीच इंदौर के जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में सरकारी गोदाम से शराब लेने के लिए 194 फर्जी बैंक चालान इस्तेमाल किए गए थे। चालान की गड़बड़ी इन चालानों को हजारों रुपये के बजाय लाखों रुपये का बनाकर ठेकेदारों ने शराब उठाई और अपनी दुकानों में बेच दी। इस मामले में 12 अगस्त 2017 को इंदौर की रावजी बाजार पुलिस में 14 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था। ED ने आबकारी कमिश्नर से पांच सवालों के जवाब मांगे हैं, जिनमें ठेकेदारों से वसूली गई राशि और उनके बैंक खातों का विवरण शामिल है। जांच रिपोर्ट ED ने आबकारी विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट भी मांगी है।

निलंबन

अधिकारियों की भूमिका जब घोटाला हुआ था, उस समय संजीव दुबे जिला आबकारी अधिकारी थे। इस मामले में उन्हें और अन्य छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। यह घोटाला अब ED की जांच के घेरे में है, जिससे उम्मीद है कि सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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