रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू (EOW) ने बुधवार छठवां पूरक पेश किया था. इसमें भूपेश कैबिनेट में शराब नीति (FL-10A/10B लाइसेंस) में बदलाव का जिक्र किया गया है. इस पर राजनीति शुरू हो गई है. पीसीसी चीफ दीपक बैज ने वर्ष 2017 में आबकारी नीति में बदलाव की बात कहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर ठीकरा फोड़ा है. वहीं रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने सरकारी खजाने में डाका डालने का काम किया है.

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ईओडब्ल्यू ने शराब घोटालों को लेकर दो दिन पहले पेश किए चालान में बताया कि फरवरी 2020 को हुई भूपेश कैबिनेट की बैठक में नई लाइसेंस प्रणाली (FL&10A/10B) को स्वीकृति दी, जिसके बाद 11 फरवरी 2020 को आदेश जारी हुआ.

नई आबकारी नीति 1 अप्रैल 2020 से लागू की गई. नीति में बदलाव के पीछे तर्क दिया गया कि दुकानों में कई ब्रांड्स की कमी की शिकायतों को दूर करने के लिए विदेशी शराब के सप्लाई और भंडारण के लिए नई लाइसेंस प्रणाली (FL&10A/10B) लाई जाए.

प्रस्ताव के अनुसार, विदेशी शराब के लाइसेंसधारी (FL-10A/10B) अपने पंजीकृत सप्लायर की मदिरा CSBCL के गोदामों में भंडारित करेंगे. वहीं से CSMCL को सप्लाई करेंगे. यदि बिक्री न हो, तो CSBCL और CSMCL को शास्ति अधिरोपित करने का अधिकार होगा.

ईओडब्ल्यू के चालान पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने कहा कि इससे बड़ा अपराध हिंदुस्तान की राजनीति में कभी नहीं हुआ जो छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले के रूप में हुआ है. उन्होंने कहा कि राजनीति के क्षेत्र में हम काम करते हैं. बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. लेकिन खुले किताब की तरह करप्शन भी हिम्मत का काम है. ऐसे हिम्मत वाले लोगों को सोचता हूं कि ये लोग बहुत अद्भुत हैं.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भी ईओडब्ल्यू के चालान पर कहा कि EOW-ED कांग्रेस को बदनाम करने और नेताओं को टारगेट करने के लिए तरह-तरह के षड्यंत्र अपना रही है. हमारे नेताओं को जेल भेज दिया गया है. उसके बाद भी तसल्ली नहीं हुई. फिर से तलाश कर रही है.

इसके साथ उन्होंने सवाल किया कि भाजपा सरकार में 3 प्रतिशत कमीशन की जांच कौन करेगा. एक जग 32 हज़ार में खरीदा जाता है, 1 लाख का टीवी 10 लाख में खरीदा जाता है. बस्तर ओलिंपिक के नाम पर 1400 का ट्रैकसूट 2500 में खरीदा गया. 100 रुपए की चप्पल 1300 रुपए में खरीदी गई. इन सबकी जांच कौन करेगा. जांच एजेंसी केवल कांग्रेस के लिए है क्या?

क्या है FL-10 लाइसेंस

FL-10 (फॉरेन लिकर-10) लाइसेंस को राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में विदेशी शराब की खरीदी के लिए जारी किया था. जिन कंपनियों को यह लाइसेंस मिला है, वे मैन्युफैक्चरर्स यानी निर्माताओं से शराब लेकर सरकार को सप्लाई करते थे.

खरीदी के अलावा भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम भी इसी लाइसेंस के तहत मिलता है. हालांकि, इन कंपनियों ने भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम नहीं किया. इसे बेवरेज कॉर्पोरेशन को ही दिया गया था. इस लाइसेंस में भी A और B कैटेगरी के लाइसेंस धारक होते थे.

FL-10 A इस कैटेगरी के लाइसेंस-धारक देश के किसी भी राज्य के निर्माताओं से इंडियन मेड विदेशी शराब लेकर विभाग को बेच सकते हैं. FL-10 B राज्य के शराब निर्माताओं से विदेशी ब्रांड की शराब लेकर विभाग को बेच सकते हैं.