नई दिल्ली . सफदरजंग अस्पताल के यूरिलाजी विभाग ने किडनी की बीमारी से जूझ रही युवती का रोबोटिक ट्रांसप्लांट के जरिये उपचार किया. एनएमएसी पोर्टल के जरिये सर्जरी को लाइव दिखाया गया. इसको 20 देशों के साथ भारत के 52 मेडिकल कॉलेज के 2198 यूरोलाजी विशेषज्ञों ने देखा.
इस बारे में यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि यह देश के किसी सरकारी अस्पताल में पहला लाइव रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट है. प्रशिक्षण के लिए किए गए इस लाइव रोबोटिक ट्रांसप्लांट के बाद मरीज की हालत बेहतर है. प्रत्यारोपण के बाद कुछ घंटों के बाद मरीज ने 400-500 एमएल यूरिन पास किया.
डॉक्टर ने आगे कहा, ”सामान्य तौर पर ऐसे ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को सही होने में छह हफ्ते तक का समय लग जाता है, लेकिन रोबोटिक सर्जरी के बाद दो हफ्ते में मरीज पूरी तरह ठीक हो जाएगी. चार से पांच दिन में मरीज की छुट्टी भी कर दी जाएगी. एक-दो साल बाद वह शादी भी कर सकेगी. उन्होंने कहा करीब आठ महीने पहले रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत की गई थी.”
इस सफलता के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सफदरजंग अस्पताल को बधाई देते हुए कहा कि भारत की स्वास्थ्य सेवा रोबोटिक्स के शिक्षण और प्रशिक्षण में विश्व नेता के रूप में उभर रहा है. पहली बार केंद्र सरकार के सफदरजंग अस्पताल में रोबोटिक रीनल ट्रांसप्लांट को किया गया. इसे दुनियाभर के 52 मेडिकल कॉलेजों और 20 विभिन्न देशों के छात्रों ने एनएमसी पोर्टल पर लाइव देखा.
इंजरी का खतरा हो जाता है कम
रोबॉट की अपनी खासियत है, विजन बेहतर है, इनसीजर सटीक लगता है, इसीलिए इससे जब किडनी निकालते हैं तो किडनी में इंजरी का खतरा बहुत कम हो जाता है. इससे जब बीमार मरीज में एक अच्छा व बिना डैमेज हुई किडनी लगाई जाती है तो मरीज में यह बेहतर व जल्दी काम करने लगती है.
यह हमारे डॉक्टरों के प्रौद्योगिकी का शानदार उपयोग का उदाहरण है. बता दें कि इससे पहले डॉ. अनूप वर्मा लाइव सर्जरी का विश्व रिकार्ड बना चुके हैं. उन्होंने अभी तक 205 से अधिक लाइव सर्जरी की है.