रायपुर. साय सरकार ने प्रदेशभर में जिला स्तरीय समिति एवं विकासखंड स्तरीय समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति की है, जो पशुधन से संबंधित सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन और निगरानी में अहम भूमिका निभाएंगे. यह नियुक्ति 3 वर्ष के लिए की गई है. इसका आदेश आज पशुधन विकास विभाग ने जारी किया है. साथ ही कई बिदुओं पर दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं.

आदेश के मुताबिक, जिला एवं विकासखंड स्तरीय समिति राज्य में पंजीकृत गौशालाओं के पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण का कार्य करेगी. जिला एवं विकासखंड स्तरीय समिति छग कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004, छग कृषिक पशु परिरक्षण नियम, छग गौसेवा आयोग अधिनियम 2004, छग गौसेवा आयोग नियम एवं पशु कुरता निवारण अधिनियम 1960 के क्रियान्वयन के लिए कार्य करेगी. जिला स्तरीय समिति जिला स्तर पर और विकासखंड स्तरीय समिति विकासखंड स्तर पर गौशाला प्रतिनिधियों, कृषकों को जैविक खेती के महत्व, जैविक खाद उत्पादन और पंचगव्य उत्पादन के संबंध में प्रशिक्षण की व्यवस्था करेगी.

इसके अलावा गौशाला पंजीयन के आवेदन पत्र विकासखंड समिति की अनुशंसा के साथ जिला स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा. जिला स्तरीय समिति की अनुशंसा के आधार पर छग गौसेवा आयोग, गौशाला का पंजीयन, कियान्वयन समिति में अनुमोदन के आधार पर करने में सक्षम होगा. जिला स्तरीय समिति प्रत्येक दो माह में एक बार एवं विकास खंड स्तरीय समिति प्रत्येक माह में एक बार बैठक करेगी. बैठक की अध्यक्षता जिला स्तरीय एवं विकासखंड स्तरीय समिति के अध्यक्ष करेंगे. अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपस्थिति सदस्य में से किसी एक सदस्य को अध्यक्षता करने के लिए निर्वाचित किया जा सकेगा. बैठक का आयोजन एवं सभी व्यवस्था समिति के सदस्य सचिव करेंगे.

आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक त्रैमास में विकासखंड स्तरीय समिति गौशाला का निरीक्षण कर गौशाला को प्रदाय अनुदान, उसकी उपयोगिता, गौशाला में उपलब्ध अधोसंरचना, पोषण आहार व्यवस्था एवं पशुधन स्वास्थ के संबंध में अपना प्रतिवेदन जिला स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगी. जिला स्तरीय समिति गौशाला में अव्यवस्था के संबंध में गौसेवा आयोग को प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी. जिला स्तरीय समिति एवं विकासखंड स्तरीय समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति 3 वर्ष की कालावधि के लिए होगी. यह नियुक्ति राज्य सरकार कभी भी निरस्त कर सकती है.

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