नई दिल्ली। सरगुजा से लेकर विधानसभा तक बवाल मचाने वाले बृहस्पति व टी.एस.सिंहदेव विवाद के ड्रामेपूर्ण पटाक्षेप के बाद अब राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने मोर्चा खोल दिया है. नेताम ने कहा है कि रामानुजगंज क्षेत्र के वर्तमान विधायक बृहस्पति सिंह परम्परागत ढंग से स्वभाववश कभी, तत्कालीन कलेक्टर, राज्यसभा सांसद एवं छ.ग. शासन के मंत्री को कह देते है कि ये मेरी हत्या करवाना चाहते है. इस पर विधायक मंत्री के समक्ष व विधानसभा में स्वीकारते है कि मैने भावावेश में कह दिया था कि आप मेरी हत्या करवाना चाहते है, अब खेद प्रगट करता हूं. ऐसा कहकर आपने हाल में घटी प्रायोजित घटना चक्र का पटाक्षेप करते हुए छ.ग. सरकार की गरीमा व मर्यादा को गंभीर क्षति पहुंचाई है. अब प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी मंत्री जाने कि उन्होंने खेद प्रगट को किस नजरिए से स्वीकार कर लिया है.

पूर्व गृहमंत्री व राज्यसभा सांसद ने आगे कहा है कि आज से कुछ महीने पहले, विधायक ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया था कि सार्वजनिक ’’यज्ञ’’ कराकर नेताम मेरी हत्या करवाना चाहते है. इसके फलस्वरूप मेरे व मेरे समर्थकों द्वारा कड़ी आपत्ति दर्ज करने के साथ, विधायक से सार्वजनिक माफीनामा या खेद प्रकट किये जाने की बात कही गई थी, जिस पर आज तक जवाब अपेक्षित है. उलट विधायक सत्ता के नशे में अपने स्वभाव के अनुरूप अप्रिय भाषा का प्रयोग करते है.

विधायक आपके इस प्रकार के कई कृत्य से मुझे व क्षेत्र की जनता की भावनाएं गंभीर रूप से आहत हुई है, जो निरन्तर जारी है. वहीं सम्पूर्ण आदिवासी समाज की भोले-भाली संस्कृति व स्वभाव को गंभीर आद्यात पहुंचा है. इस पर आदिवासी समाज विधायक को कभी माफ नहीं करेगा. साथ ही आपको पुनः आगाह करता हूं कि अविलम्ब आप मेरे समक्ष सार्वजनिक रूप से मेरे विरूद्व लगाए गए आरोप पर खेद प्रगट करते हुए आप कहे कि आपका दिमागी संतुलन ठीक नहीं है, अन्यथा मानहानि मुकदमें के लिए तैयार रहे.

वहीं हाल ही में बृहस्पति व टी.एस.सिंहदेव विवाद के पटाक्षेप पर राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कई गंभीर सवाल खडे़ करते हुए, सम्पूर्ण प्रकरण की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच माननीय उच्च न्यायालय के निगरानी में कराए जाने की पूरजोर मांग की है. नेताम ने कहा कि जब झूठ, मनगढ़त, प्रायोजित एवं गलत इरादों से आनन-फानन में तेज गति से बिना विवेचना किऐ ही गंभीर धाराओं के साथ भादवि की धारा 341, 186, 294,506, 353, 427,34 व एक्ट्रोसिटी एक्ट की धारा 3-1 का प्रयोग करते हुए मामला पंजीबद्व किया गया है, जो कानून के साथ सुनियोजित खिलवाड़ है. ऐसे में उच्चस्तरीय जांच होना नितांत आवश्यक है.

वहीं विधानसभा में दिये गए गृहमंत्री के बयान से स्पष्ट है कि विवाद व घटना विधायक के सुरक्षा गार्ड व जनपद उपाध्यक्ष सचिन सिंहदेव व इनके साथी के बीच की है. तब विधायक बृहस्पति सिंह व मंत्री टी.एस. सिंहदेव के बीच आपसी सुलह व राजीनामे की कहानी का सवाल ही नही पैदा होता है. वैसे भी पंजीबद्व कुछ धाराओं के तहत आपसी राजीनामा न्यायालय के बाहर कानूनन संभव नहीं है. वहीं तेज गति से हुए मामला पंजीबद्व, चालान व जमानत के बीच की अवस्था पर भी कई प्रश्न अभी भी जीवंत है.

नेताम ने आगे कहा है कि यदि उक्त मामले को यदि सोची-समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया है, तो रिपोर्ट करने वाले व रिपोर्ट पर कार्यवाही करने वाले दोनों की उचित जांचकर कार्यवाही किया जाना आवश्यक है. ताकि कानून का मखौल व बेजा इस्तेमाल करने वालो पर अंकुश लग सके. अन्यथा आम लोगों का विश्वास कानून पर कैसे रह पायेगा.

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