कुंदन कुमार/पटना। बिहार को खुले में शौच से मुक्त और स्वच्छ बनाने की दिशा में लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान ने बीते 11 वर्षों में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वर्ष 2014-15 से 2025-26 के बीच राज्य सरकार ने 1 करोड़ 45 लाख से अधिक परिवारों को अपने घर में शौचालय निर्माण पर 12-12 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी है। इसके साथ ही हजारों गांवों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की मजबूत व्यवस्था खड़ी की गई है।
स्वच्छता योजनाओं का एकीकृत मॉडल
राज्य में केंद्र प्रायोजित स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण और राज्य वित्तपोषित लोहिया स्वच्छता योजना को मिलाकर लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान का संचालन किया गया। पहले चरण (2014-15 से 2019-20) में शौचालय निर्माण, घर का सम्मान अभियान के तहत 1 करोड़ 22 लाख परिवारों को लाभ मिला। इस दौरान जन-जागरूकता, व्यवहार परिवर्तन और जनभागीदारी पर विशेष जोर दिया गया।
भूमिहीनों के लिए सामुदायिक शौचालय
भूमिहीन परिवारों, प्रवासी मजदूरों और चलंत आबादी की सुविधा के लिए राज्य भर में 9,431 सामुदायिक शौचालय बनाए गए। चार से छह शीटर वाले इन शौचालयों के निर्माण पर प्रति इकाई औसतन 2 से 2.5 लाख रुपए खर्च किए गए।
दूसरे चरण में स्वच्छ गांव-समृद्ध गांव का लक्ष्य
लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के दूसरे चरण में अब तक 23 लाख 72 हजार से अधिक परिवारों को शौचालय निर्माण पर प्रोत्साहन राशि दी जा चुकी है। साथ ही 6,964 ग्राम पंचायतों में वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित कर कचरा प्रबंधन की व्यवस्था मजबूत की गई है।
34 हजार से अधिक गांव बने ओडीएफ प्लस मॉडल
राज्य के 34,365 गांव ओडीएफ प्लस मॉडल के रूप में विकसित हो चुके हैं। इसके अलावा 36 जिलों में गोबरधन योजना के तहत बायोगैस और जैविक खाद का उत्पादन हो रहा है, जिससे स्वच्छता के साथ ग्रामीण आय में भी वृद्धि हो रही है।



