रायपुर। देशभर में आज लोहड़ी का त्योहार बनाया जा रहा है. यह त्योहार मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है. इस पर्व में प्रकृति की उपासना और आभार प्रकट करने किया जाता है. मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी का त्योहार मुख्य रूप से सूर्य और अग्नि देव को समर्पित है. लोहड़ी की पवित्र अग्नि में नवीन फसलों को समर्पित करने का भी विधान है. पंजाब व जम्मू-कश्मीर आदि स्थानों पर इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है. लोहड़ी का त्यौहार शाम के वक्त पूरे ढोल नगाड़ों के साथ पूरी धूमधाम से मनाया जाता है.

सिख धर्म के अनुसार लोहड़ी जलाकर नव विवाहित जोड़ों और शिशुओं को बधाई देकर उपहार दिए जाएंगे. सिंधी समाज में भी मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व लाल लोही के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है. अग्नि के चारों ओर नव विवाहित जोड़ा रबी की फसलों जैसे मक्का, तिल, गेहूं, सरसों, चना आदि की आहुति देते हुए चक्कर लगाकर अपनी सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करते हैं. इस दिन विवाहिता लड़कियों के पीहर से ससुराल में रेवड़ी, गजक, मिठाई, नए कपड़े, मूंगफली आदि भेजे जाते हैं.

क्यों मनाया जाता है लोहड़ी ?

पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के त्याग के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है. कथानुसार जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था. उसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है. यह भी मान्यता है कि सुंदरी एवं मुंदरी नाम की लड़कियों को सौदागरों से बचाकर दुल्ला भट्टी ने हिंदू लड़कों से उनकी शा‍दी करवा दी थी. पौराणिक मान्यता अनुसार सती के त्याग के रूप में भी यह त्योहार मनाया जाता है. कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है.