नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से ताल ठोंकने वाले बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का नामांकन एक बड़ी साजिश के तहत खारिज किया गया था. एक स्टिंग ऑपरेशन में इसे लेकर खुलासा हुआ है. स्टिंग ऑपरेशन में चुनाव आयोग के पर्यवेक्षक ने कबूल किया कि यादव का पर्चा खारिज करने के लिए वे 48 घंटे तक वजह खोजते रह गए.

इससे पहले तेज बहादुर यादव के वकील ने ये दावा किया था कि पर्यवेक्षक ने बनारस के जिलाधिकारी से उनके सामने कहा था कि बर्खास्त जवान यादव का पर्चा खारिज किया जाना है. उधर तेजबहादुर ने नामांकन खारिज होने के बाद आरोप लगाया था कि उन्हें जानबूझकर चुनाव लड़ने नहीं दिया जा रहा है. उनके वकील राजेश गुप्ता ने कहा था, “वाराणसी चुनाव क्षेत्र के जो रिटर्निंग ऑफिसर (सुरेंद्र सिंह-डीएम) हैं, उन्होंने बताया था कि पेपर में कोई गलती नहीं है, तभी आंध्र के बड़े अधिकारी आए और डीएम से बोले कि तेज बहादुर की फाइल कहां है. डीएम से उन्होंने कहा कि इनका तो रिजेक्ट करना है.”

तेज बहादुर यादव और उनके वकील के दावे की पड़ताल ‘एबीपी न्यूज’ ने किया, इसके लिए उन्होंने चुनाव आयोग के पर्यवेक्षक के प्रवीण कुमार का स्टिंग किया. जिसमें उन्होंने माना कि उन्हें तेज बहादुर यादव का पर्चा खारिज करने की वजह ढूंढने में लगभग 48 घंटे का समय लगा था.

खुफिया कैमरे के सामने रिपोर्टर से पर्यवेक्षक प्रवीण कुमार ने कहा, “हम इसमें 48 घंटे…हम…पहले नॉमिनेशन और दूसरे नॉमिनेशन के बीच में गैप में बहुत हमने सब नियम देख लिए थे. इतना निगलेक्ट से कुछ भी नहीं…मैंने कलेक्टर और रिटर्निंग ऑफिसर से…फोन पर वकील से…ईसी से सबकी जानकारी ले ली. सब यही 33/3 तुम लोग कौन फैसला लेने को बोलता. जब धारा 33/3 है, तब आप क्या उम्मीद करें. आप नहीं कर सकते.”

देखिये वीडियो … सौ. ABP News

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