Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ चुके हैं. देशभर की 543 लोकसभा सीटों के लिए सात चरणों में वोटिंग हुई थी और मंगलवार (4 जून) को रिजल्ट आ गया. भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाला एनडीए गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया. इस बार चुनाव में विपक्षी गठबंधन INDIA ने भी कड़ी टक्कर दी. एनडीए को 293 और INDIA को 233 सीटों पर जीत मिली है, जबकि 17 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है.

लोकसभा चुनाव के नतीजों में भले ही एनडीए गठबंधन जीत गया हो लेकिन भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने से दूरगामी परिणाम होंगे. एग्जिट पोलों (Exit Polls) में भारतीय जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत के साथ 361-401 सीटें मिलने का अनुमान जाहिर किया गया था. लेकिन, BJP बहुमत से 32 सीट दूर रह गई. जबकि, पिछले चुनाव में बीजेपी ने अकेले ही 303 सीटे जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था, लेकिन इस बार पार्टी 240 सीटें ही जीत सकी है. ऐसे में बीजेपी सरकार पहले के दो कार्यकालों की तरह इस बार कड़े फैसले लेने में कमजोर साबित हो सकती है. गठबंधन के सहयोगी अपनी मांगों को लेकर अड़ भी सकते हैं और सरकार के फैसलों में अड़ंगा भी लगा सकते हैं. इसमें सबसे अहम भूमिका TDP और JDU की होगी. बताते चलें कि NDA गठबंधन में शामिल नीतीश कुमार की JDU को 12 और चंद्रबाबू नायडू की TDP को 16 सीटों पर जीत मिली है और इन दोनों नेताओं के पास अब 28 सीटें हैं. इस वजह से नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडु अब किंगमेकर की भूमिका में आ गए है, दोनों ने 5 जून को समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर भी कर दिया. मगर नए मंत्रिमंडल में TDP और JDU किन मंत्री पदों को लेकर डिमांड रख सकती है. आइए जानते है.

मनपसंद मंत्रालय के लिए अड़ सकते हैं NDA के घटक दल

बता दें कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जब जिस भी गठबंधन का हिस्सा रहे हैं, वहां उन्होंने अपनी बातें हमेशा ही मनवाई हैं. जब केंद्रीय मंत्रीमंडल का गठन होगा और विभागों का बंटवारा होगा, तब यही घटक दल मनपसंद मंत्रालय के लिए अड़ भी सकते हैं. आगामी बजट और अन्य अहम नीतियों पर वे अपनी मांगों का अड़ंगा भी लगा सकते हैं.

5 से ज्यादा मंत्री पद की डिमांड कर सकती है TDP

TDP की बात करें तो पार्टी राज्य के लिए पांच या उससे ज्यादा मंत्री पद की डिमांड कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तेलगु देशम पार्टी सड़क-परिवहन, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, कृषि, जल शक्ति, सूचना एवं प्रसारण और शिक्षा मंत्रालय की डिमांड कर सकती है. इसके अलावा पार्टी की तरफ से लोकसभा स्पीकर के पद की मांग भी की गई है. इसके साथ ही TDP राज्य के लिए स्पेशल स्टेट्स की मांग भी कर सकती है. पार्टी की तरफ से ये काफी पुरानी मांग रही है.

इन मंत्रालयों पर JDU की नजर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जनता दल यूनाइटेड की नजर तीन मंत्री पदों पर है. इसमें रेल मंत्रालय के अलावा ग्रामीण विकास और जल शक्ति मंत्रालय भी शामिल है. JDU के अन्य विकल्प सड़क परिवहन और कृषि मंत्रालय हो सकते हैं. रिपोर्ट में एक JDU नेता के हवाले से लिखा गया कि बिहार में जल संकट के साथ-साथ घटते जलस्तर और बाढ़ की चुनौतियों का सामना करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय महत्वपूर्ण है. जबकि रेलवे मंत्रालय मिलना निश्चित रूप से बिहार के लिए गर्व की बात होगी. साथ ही ग्रामीण विकास मंत्रालय ग्रामीण बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है.

बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों ही नेता बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पहले भी उठाते रहे हैं, जिसे पिछले दस वर्षों के दौरान मोदी सरकार खारिज करती रही है. मगर, अब मुमकिन है कि उनकी इन मांगों को मान लिया जाए. इसके साथ ही भाजपा के महत्वपूर्ण निर्णय जैसे समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) और एक देश एक कानून जैसे विषय ठंडे बस्ते में जा सकते हैं.

दूसरी पार्टियां भी कर सकती है मंत्री पद की डिमांड

JDU-TDP के अलावा NDA में शामिल बाकी पार्टियां भी एक या उससे ज्यादा मंत्रालय मांग सकती है. शिवसेना (शिंदे गुट) 1 कैबिनेट और 2 MOS, जबकि चिराग पासवान 1 कैबिनेट और 1 राज्य मंत्री की मांग कर सकते हैं. जबकि एकमात्र सीट पर लड़ने और उसे जीतने वाली HAM भी एक मंत्रीपद की डिमांड रख सकती है. ऐसे में मंत्रीपद का बंटवारा कैसे होगा, इस बार ये देखना दिलचस्प होने वाला है.

JDU और TDP कर सकते हैं स्पीकर का पद की मांग

लोकसभा में सबसे दिलचस्प पद स्पीकर का है और सूत्रों का कहना है कि दोनों ही दल स्पीकर का पद अपने-अपने कोटे में रखने की मांग की हैं और इसकी वजह बीजेपी से इन दोनों ही दलों को सताने वाला बड़ा डर है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबक जेडीयू और टीडीपी दोनों ही दलों ने यह मांग इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि वे भविष्य में अपनी ही पार्टी को विभाजन से बचाना चाहते हैं. स्पीकर की भूमिका दल-बदल वाले कानून के चलते सबसे अहम होती है, क्योंकि दल-बदल कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पास बेहद ही सीमित अधिकार है. इसीलिए दोनों ही दल यह स्पीकर का पद अपने कोटे में रखने के लिए एनडीए की बैठक में मोर्चा खोल सकते हैं. हालांकि बीजेपी किसी भी सूरत में किसी दूसरे दल के व्‍यक्‍ति को इस पद पर नहीं बिठाना चाहेगी.

लोकसभा स्‍पीकर के कार्य

बता दें कि लोकसभा स्‍पीकर का पद सदन में काफी अहम होता है. स्‍पीकर ही लोकसभा सदन का मुखिया होता है. स्पीकर न केवल सदन के अनुशासन को सुनिश्चित करता है, बल्कि इसके उल्‍लंघन पर लोकसभा सदस्‍यों को दंडित करने का भी अधिकार रखता है. लोकसभा स्‍पीकर की भूमिका और अहम तब हो जाती है. जब किसी दल या गठबंधन का बहुमत परीक्षण कराना होगा. दोनों पक्षों के वोट बराबर होने पर वह मतदान करने का भी अधिकारी होता है. ऐसे में स्पीकर का वोट निर्णायक और महत्वपूर्ण हो जाता है. लोकसभा स्‍पीकर सदन की प्रक्रियाओं जैसे स्‍थगन प्रस्‍ताव, अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव आदि की भी अनुमति देता है

संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है स्पीकर

स्पीकर संविधान के अनुच्छेद 108 के तहत वह संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता भी करता है. इतना ही नहीं स्‍पीकर ही लेाकसभा में विपक्ष के नेता को मान्‍यता देने पर भी फैसला करता है. लोकसभा स्‍पीकर ही सदन के सभी संसदीय समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है और उनके कार्यों पर निगरानी रखता है.

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