कर्ण मिश्रा, ग्वालियर. लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर ग्वालियर चंबल अंचल में किसान इस बार बड़ा चुनावी मुद्दा बन गए हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि देश की राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्र से मध्य प्रदेश का ग्वालियर चंबल अंचल बेहद करीब है. यही वजह है कि किसान नेताओं के साथ ही कांग्रेस की भी इस सियासी मुद्दे पर नजर टिकी है.
तस्वीरों में नजर आ रहा ये हुजूम किसानों का है, जो MSP की मांग को लेकर हल्लाबोल पर उतर आये. ये नजारा दिल्ली पंजाब बॉर्डर इलाके का नहीं बल्कि MP के ग्वालियर का है. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले जहां देशभर में किसान और उनकी मांगों को लेकर खूब सियासी बवाल देखने मिला, लेकिन अब चुनाव तारीख ऐलान के साथ ही किसान चुनावी मुद्दा भी बन गए हैं. जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव ग्वालियर चंबल अंचल में देखने मिल रहा है.
दिल्ली पंजाब की तर्ज पर किसानों का एक धड़ा MSP की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ बोल रहा है, तो वही दूसरा धड़ा सरकार के द्वारा किसानों को लेकर किये गए काम को सराहते हुए विकास पर मुहर लगा रहा है. इस चुनावी मौसम में किसान और उनकी एमएसपी सहित अन्य मांगों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों भी आमने-सामने आ गए है.
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता राम पांडे का कहना है कि किसान आंदोलन का बहुत ज्यादा असर ग्वालियर चंबल अंचल पर होगा, क्योंकि किसान अन्नदाता है और वह हमारे देश को भोजन दे रहा है. आज देश के 80 करोड लोगों को जो मुफ्त में अनाज बांटा जा रहा है, वह किसान का ही योगदान है. किसान सिर्फ यही चाहता है कि एमएसपी की मांग पूरी की जाए. स्वामीनाथन जी ने कहा है कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिलना ही चाहिए. जिससे उनकी खेती लाभ का सौदा बन सके. भारतीय जनता पार्टी स्वामीनाथन जी को भारत रत्न का अवार्ड दे रही है, लेकिन किसानों को लेकर उनकी कही हुई MSP की बात को केंद्र सरकार लागू करने के लिए तैयार नहीं है. यही वजह है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में किसान अपने साथ हो रहे अन्याय का बदला जरूर लेंगे.
वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रदेश प्रवक्ता ब्रजराज सिंह का कहना है कि किसान आंदोलन का मध्य प्रदेश के साथ ही ग्वालियर चंबल अंचल में कोई असर नहीं है, क्योंकि किसान आंदोलन एक प्रदेश तक ही सीमित है. पंजाब के किसानों में थोड़ी नाराजगी जरूर है, लेकिन उसके अलग-अलग अंक गणित हैं. जबकि इसके अलावा देश और प्रदेश के किसानों को देखें तो सभी भारतीय जनता पार्टी की रीति नीति से प्रभावित है और वह BJP के साथ ही खड़े हुए हैं. पीएम मोदी किसानों की आय को दुगना करने की बात करते हैं तो उसके लिए धरातल पर काम भी करते हैं. कई फसलों की एमएसपी बढ़ाई भी गई है. फसल बीमा योजना, सॉइल कार्ड से किसानों को बहुत मदद दी गई है. किसानों को सालाना 12 हजार रुपये मोदी सरकार देती है. यही कारण है कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में भी किसानों ने भारतीय जनता पार्टी को मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भरपूर आशीर्वाद दिया और लोकसभा चुनाव में भी किसान भारतीय जनता पार्टी के साथ ही खड़े नजर आएंगे.
बहरहाल लोकसभा चुनाव के माहौल को देखते हुए किसान अब चुनावी मुद्दा बन तो गए हैं, लेकिन इस मुद्दे पर सियासत का उबाल क्या विपक्ष को फायदा पहुंचा पायेगा या BJP के किसान हित मे किये गए विकास के दावों पर मुहर लगेगी. ये तो आने वाले समय मे होने वाले चुनाव और उसके रिजल्ट के समय ही मालूम होगा.
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