नाशिक. महायुति के सीट आवंटन की अभी घोषणा नहीं की गई है. अभी भी 9 से 10 सीटों पर पेच फंसा हुआ है. नाशिक सीट पर महागठबंधन में शामिल तीनों पार्टियों ने दावा किया है. इसलिए दरार बढ़ गई है.
यह सीट फिलहाल शिंदे गुट के पास है. लेकिन इस सीट के लिए एनसीपी और बीजेपी भी उत्सुक हैं. इसके लिए उन्होंने शिवसेना पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. हेमंत गोडसे नासिक से सांसद हैं. और वह शिव सेना में हैं. इसलिए शिंदे ने यह जगह छोड़ने से इंकार कर दिया. लेकिन छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल ने कुछ दिन पहले वर्षा बंगले पर जाकर शिंदे से मुलाकात की थी. बैठक के बाद भुजबल ने शिक्षण संस्थान के कामकाज को लेकर बैठक की जानकारी दी.
पहले खबरों को किया था खारिज
छगन भुजबल ने पार्टी नेतृत्व को सीधी चेतावनी दी है कि नाशिक लोकसभा क्षेत्र से हमारे परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवार बनाना चाहिए, अन्यथा भाजपा का भी दामन थामने पर विचार किया जा सकता है. भाजपा द्वारा माधव (माली, धनगर, वंजारी) पैटर्न का पालन किया जा रहा है. पता चला है कि भुजबल ने पार्टी नेतृत्व से कहा है कि इससे उनके परिवार को फायदा हो सकता है. जब भुजबल से इस संबंध में पूछा गया था. उस वक्त उन्होंने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. जिन खबरों पर मैं दबाव डाल रहा हूं उनमें कोई सच्चाई नहीं है. भुजबल ने कहा था कि मैंने किसी पर कोई दबाव नहीं डाला है.
कोकाटे भी इच्छुक
सातारा सीट बीजेपी ने उदयन राजे के लिए छोड़ी है तो एनसीपी ने बदले में नासिक सीट की मांग की है. भुजबल इस सीट से लड़ने के लिए उत्सुक हैं. उन्होंने पार्टी नेतृत्व से अपने परिवार के सदस्य को उम्मीदवार बनाने का अनुरोध किया है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे दूसरे विकल्प पर विचार करेंगे. दिलचस्प बात यह है कि सिन्नर से एनसीपी विधायक माणिकराव कोकाटे भी नाशिक से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. पार्टी में एक राय है कि अगर भुजबल को नाशिक से टिकट दिया गया तो उन्हें नुकसान होगा. राकां के एक गुट को लगता है कि मराठा आरक्षण पर भुजबल के रुख, मनोज जरांगे पाटिल की आलोचना का खामियाजा उनके साथ-साथ पार्टी को भी भुगतना पड़ सकता है.