Lok Sabha Election: देशभर से करीब दर्जनभर उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग (Election Commission) का दरवाजा खटखटाते हुए EVM-VVPAT के मेमोरी वेरिफिकेशन की अर्जी लगाई है। लोकसभा और चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब तक करीब 10 अर्जियां चुनाव आयोग के पास आई हैं। अधिकतर अर्जियों में एक से तीन बूथों की मशीनों के मिलान की अर्जी हैं। सिर्फ ओडिशा के झाड़सुगुड़ा विधानसभा क्षेत्र से हारीं बीजेडी उम्मीदवार दीपाली दास ने सबसे ज्यादा 13 मशीनों की मेमोरी वेरिफाई करने की अर्जी दी है।

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दीपाली विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार टंकधर त्रिपाठी से 1265 वोटों से हार गई हैं। दीपाली का कहना है कि मैंने 17 राउंड में बढ़त बनाए रखी थी। आखिरी दो राउंड में पासा पलट गया। लिहाजा, आखिरी दो राउंड की 13 मशीनों की फिर से गिनती मिलान कराई जाए।

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वहीं महाराष्ट्र के अहमदनगर लोकसभा क्षेत्र से भी बीजेपी के सुजय राधाकृष्ण विखे पाटिल ने तीन मशीनों के वेरिफिकेशन के लिए अर्जी लगाई है। पाटिल 28,929 वोटों से हार गए। आयोग के मुताबिक उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ से किसी ने भी पुनरीक्षण की अर्जी नहीं लगाई है।

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प्रति मशीन 40 हजार और 18 फीसदी जीएसटी एडवांस जमा करना होता है

आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, इस लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट के मेमोरी वेरिफिकेशन के लिए प्रति मशीन 40 हजार रुपए और उस पर 18 फीसदी जीएसटी एडवांस जमा करना पड़ता है। आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों को टीम सभी के सामने डाटा वेरिफाई करती है। अगर शिकायत सही मिली यानी ईवीएम डेटा और पर्चियों के बीच अनियमितता यानी गड़बड़ पाई गई तो कार्रवाई होगी और शिकायतकर्ता को पूरा शुल्क वापस किया जाएगा। शिकायत सही नहीं हुई तो शुल्क जब्त हो जाएगा। अगर शिकायत सही मिली यानी ईवीएम डेटा और पर्चियों के बीच अनियमितता यानी गड़बड़ पाई गई तो कार्रवाई होगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने दिया था अहम फैसला

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने 26 अप्रैल को फैसला दिया था। इसके मुताबिक, मतगणना से सात दिनों के भीतर वेरिफिकेशन की अर्जी लगानी जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में साफ कर दिया था कि मतदान ईवीएम मशीन से ही उचित है. ईवीएम-वीवीपैट का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा। ईवीएम के आंकड़े यानी मेमोरी और वीवीपैट की पर्ची 45 दिनों तक सुरक्षित रखी जाएगी। ये पर्चियां उम्मीदवारों या उनके एजेंट के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेंगी।

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ADR ने कोर्ट में दायर की थी याचिका

बता दें कि मार्च 2023 में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 100 फीसदी ईवीएम वोटों और वीवीपैट की पर्चियों का मिलान करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। इसी पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने फैसला दिया था। मौजूदा समय में वीवीपैट वेरिफिकेशन के तहत लोकसभा क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के सिर्फ पांच मतदान केंद्रों के ईवीएम वोटों और वीवीपैट पर्ची का मिलान किया जाता है। इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में सिर्फ पांच रैंडमली रूप से चयनित ईवीएम को सत्यापित करने के बजाय सभी ईवीएम वोट और वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर ईसीआई को नोटिस जारी किया था।

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