गोविन्द पटेल, कुशीनगर. कुशीनगर की पहचान पूरे विश्व में हैं. शांति का संदेश देने वाले इस धरती को गौतम बुद्ध की धरती भी कहा जाता है. इस क्षेत्र की पहचान बुद्ध काल के कुशीनारा से की जाती है. कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी तक कुशीनारा शहर मौजूद था, उसके बाद बौद्ध से जुड़ी पहचान मिट गई थी. कुशीनगर में खुदाई के बाद बौद्ध युग से जुड़े सभी प्राचीन स्थान प्रकाश में आया इसको लाने का श्रेय जनरल ए कनिंघम और ए. सी. एल. कार्लाइल को जाता है. जिन्होंनें 1861 में इस स्थान की खुदाई करवाई. खुदाई में छठी शताब्दी की बनी भगवान बुद्ध की लेटी प्रतिमा मिली थी, उसके बाद बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थली को एक मंदिर का रूप दिया गया है.

दुनिया भर से बौद्ध धर्म को मानने वाले ज्यादातर देशों के मंदिर कुशीनगर में स्थित हैं. इसलिए इसे विदेशी मंदिरों वाला शहर भी कहा जाता है. निर्वाण स्तूप, महानिर्वाण मंदिर, माधाकुंवर मंदिर, रामाभर स्तूप, बौद्ध संग्रहालय यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं. वहीं यह अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है. कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया है. इससे पहले यह क्षेत्र पडरौना लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था परिसीमन के बाद यहां 2009 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के रतनजीत प्रताप नारायण सिंह उर्फ आरपीएन सिंह ने जीत दर्ज की थी. लेकिन अब बीजेपी से राज्य सभा सांसद हैं. 2014 में राजेश पाण्डेय तो 2019 में विजय दुबे कांग्रेस छोड़ बीजेपी में सामिल होने के बाद बीजेपी से जीत हासिल की. वहीं 2024 में एकबार फिर पार्टी इन पर दांव लगाया है.

जातिगत आंकड़ों में कुशीनगर लोकसभा पर एक नजर

कुर्मी, कुशवाहा, मुस्लिम, यादव, दलित, ब्राह्मण, चौहान, निषाद आदि जातियों की संख्या सर्वाधिक हैं. कुशीनगर लोकसभा में 5 विधानसभा सीट हैं. पडरौना विधानसभा, कसया विधान सभा, खड्डा विधानसभा, रामकोला विधानसभा और हाटा विधानसभा. इन सभी सभी सीटों पर इस समय बीजेपी का कब्जा है. यहां 17,61,564 लाख मतदाता हैं. इनमें पुरुष मतदाता- 8,07,695 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या- 9,53,729 है. बात यहां के जातीय समीकरण की करें तो यह क्षेत्र कुर्मी, यादव, मुस्लिम और कुशवाहा बहुल माना जाता है. यहां- अनुसूचित जाति के -16 प्रतिशत, मुस्लिम -14 प्रतिशत, कुशवाहा – 12 प्रतिशत, कुर्मी-13 प्रतिशत, ब्राम्हण – 6 प्रतिशत, सैंथवार-6 प्रतिशत, वैश्य- 8 प्रतिशत, यादव- 9 प्रतिशत, भूमिहार-4 प्रतिशत और अन्य जातियों के -11 प्रतिशत मददाता हैं. बीजेपी ने एकबार फिर यहां अपने मौजूदा सांसद विजय कुमार दुबे को मैदान में उतारा है. जबकि विपक्षी पार्टियों ने अभी अपने उम्मीदवार का नाम ऐलान नहीं किया है.

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कुशीनगर लोकसभा सीट पर कब किसने लहराया परचम

2008 में कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र बनने से पहले यह पडरौना लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था. यहां हुए पहले चार चुनाव में लगातार कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी. 1957 में यहां हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के काशीनाथ पांडेय ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद दूसरे और तीसरे चुनाव में भी वह जीत विजयी हुए थे. चौथे चुनाव में कांग्रेस पार्टी के ही गेंदा सिंह ने जीत दर्ज की थी. 1977 में जनता पार्टी के राम धारी शास्त्री, फिर 1980 और 1984 में कांग्रेस पार्टी के कुंवर चन्द्र प्रताप नारायण सिंह ने जीत दर्ज की. 1989 में जनता दल के बालेश्वर यादव यहां के सांसद बने. इसके बाद राममंदिर आदोंलन के बाद 1991 में हुए चुनाव में बीजेपी ने यहां खाता खोला और 1991 से 1999 तक हुए चार चुनावों में बीजेपी के राम नगीना मिश्र ने लगातार जीत दर्ज की. 2004 में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के बालेश्वर यादव ने यहां जीत दर्ज की. पडरौना लोकसभा क्षेत्र का यह अंतिम चुनाव था.

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