Nitish Kumar: लोकसभा चुनाव नतीजों (Lok Sabha Election Result) के बाद अब सरकार गठन की तैयारी चल रही है। NDA ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को अपना नेता चुन लिया है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के सहयोगी दल 7 जून को बैठक करने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू  (Droupadi Murmu)से मुलाकात कर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। 

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वहीं बुधवार को प्रधानमंत्री आवास पर हुई मीटिंग में मोदी को NDA का नेता चुना गया। एक घंटे चली बैठक में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार सहित 16 पार्टियों के 21 नेता शामिल हुए। एनडीए की बैठक के दौरान नीतीश कुमार ने कार्यवाहक पीएम नरेंद्र मोदी को कहा, “जल्दी कीजिए। सरकार बनाने में देरी नहीं होनी चाहिए। हमें ऐसा जल्द से जल्द करना चाहिए। ये बोलकर नीतीश ने जरूर कार्यवाहक पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी को खुश होने का मौका दे दिया। लेकिन राजनीति पंडित नीतीश के इस वाक्य के कई मायने निकाल रहे हैं।

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ये जगजाहिर है कि नीतीश कुमार अवसरवादी की राजनीति करते हैं। साथ ही इनके मन में क्या चल रहा है ये कोई नहीं जानता। नीतीश की आदत पिनकने की भी रही है। अगर इनके मुताबिक कोई काम नहीं होता है तो ये बहुत जल्दी नाराज या पिनक जाते हैं।

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राजनीति के जानकार और पंडितों का कहना है कि, जब नीतीश बीजेपी को समर्थन दे रहे हैं और एनडीए के घटक दल ही बना रहना चाहते हैं तो उन्हें इतनी जल्दी क्यों है? 17वीं लोकसभा वैसे भी 16 जून को भंग होना है। इससे बीजेपी और एनडीए के पास अभी पर्याप्त मात्रा में समय है। इसके बावजूद नीतीश सरकार बनाने को लेकर इतनी जल्दी में क्यों हैं? नीतीश को रेवड़ी वाला मंत्रालय नहीं मिलने से भी ये पलट सकते हैं।

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राजनीति पंडितों का मामना है कि नीतीश कुमार की छवि ‘पलटू राम’ के रूप में हो गई। ये कब किधर पलट जाएंगे ये सिर्फ नीतीश ही जानते हैं। लिहाजा बीजेपी भी नीतीश पर उतना भरोसा नहीं कर पा रही है। वहीं नरेंद्र मोदी भी दबाव में काम करने वाले नेता नहीं है। वो जो भी काम करते हैं या निर्णय लेते हैं वो अपने मन से लेते हैं। ऐसे में ये गठबंधन कितने समय तक रहेगा या इसका कामकाज कैसा रहेगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा।

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