रायपुर. देश में लोकतंत्र का महापर्व चुनाव चल रहा है. अभी तक पांच चरण पूरे हो चुके हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करने लिए रात-दिन एक कर रही हैं. इस चुनावी संग्राम को जीतने के लिए सियासी बिसात बिछाई जा रही हैं, और तमाम दांव-पेच आजमाए जा रहे हैं. साथ ही हमेशा की तरह इस बार भी लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा नजरें उन सीटों पर हैं, जहां से सत्ता पक्ष और विपक्ष के सबसे बड़े नेता चुनाव लड़ रहे हैं. तो जानिए देश की उन चुनिंदा सीटों के बारे में जहां पर दिग्गज नेता अखाड़े में ताल ठोक रहे हैं.

वायनाड

सबसे पहले बात कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की… वे गांधी परिवार की परंपरागत अमेठी लोकसभा क्षेत्र के साथ ही पहली बार केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र से भी चुनाव लड़ रहे हैं. राहुल गांधी के चुनाव लड़ने की वजह से चाय की बागानों के लिए मशहूर वायनाड अचानक चर्चा में आ गया है. कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट माने जाने वाले वायनाड में राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में 20 प्रत्याशी हैं, इनमें से दो तो राहुल गांधी नाम वाले हैं. वहीं सीपीआई से पीपी सुनीर, बसपा से मोहम्मद पीके, सीपीआई (एमएल) से उषा के अलावा सोलर मामले में चर्चित रहीं सरिता नायर मैदान में हैं.

बनारस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से तमाम लोगों ने भी नामांकन किया, जिन्हें चुनाव के बहाने अलग संदेश देना है. कुल मिलाकर वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में 26 उम्मीदवार मोदी को चुनौती दे रहे हैं. जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेन्द्र सिंह के मुताबिक बनारस संसदीय सीट से कुल 102 उम्मीदवारों ने अलग-अलग सेट में 199 नामांकन पत्र दाखिल किया है. मोदी के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उनकी उम्मीदवारी खारिज करने के बाद अब सपा की टिकट पर सालिनी यादव मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस से पिछली बार भी चुनाव में जमानत जब्त करा चुके अजय राय फिर से चुनाव लड़ रहे हैं. इनके अलावा बाहुबली अतीक अहमद जेल के भीतर से चुनाव मैदान में दांव ठोक रहे हैं.

गांधी नगर

जिस गुजरात की गांधीनगर लोकसभा सीट पर भाजपा के वरिष्ठ और दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी चुनाव लड़ा करते थे, वहां अबकी बार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ताल ठोंक रहे हैं. उनके खिलाफ 16 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है. कांग्रेस ने विधायक डॉ. सीजे चावड़ा को चुनाव मैदान में उतारा है. गांधीनगर-उत्तर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे चावड़ा लोकसभा चुनाव में शाह को कड़ी टक्कर दे सकते हैं. बसपा ने जयेंद्र कृष्णाभाई राठौर को मैदान में उतारा है.

लखनऊ

बीजेपी के लिए सुरक्षित माने जाने वाले लखनऊ संसदीय सीट पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सामने भाजपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा समाजवादी पार्टी की टिकट पर मैदान में हैं. लखनऊ में 15 उम्मीदवारों के बीच लड़ाई है, जिसमें पूनम सिन्हा के अलावा कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णनम मैदान में हैं. 3 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय चुनौती पेश कर रहे हैं, जबकि 9 उम्मीदवार क्षेत्रीय दलों से हैं. ऐसे में चुनावी दंगल पूरी तरह पेचीदा हो गया है.

रायबरेली

यूपी की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक रायबरेली सीट मानी जाती है. इस सीट से कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनाव लड़ रही हैं, ऐसे में इस सीट पर सबकी नजर टिकी हुई है. रायबरेली सीट से बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह सोनिया गांधी को टक्कर देने मैदान में है. दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस में थे, अब वे बीजेपी की टिकट पर इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. सपा-बसपा के गठबंधन ने इस सीट पर अपना कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है.

अमेठी

कांग्रेस का गढ़ रहे अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ स्मृति ईरानी चुनाव मैदान में ताल ठोक रही हैं. राहुल को टक्कर देने के लिए ही बीजेपी ने यह दांव खेला है क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनावों में भी स्मृति ने राहुल को कड़ी टक्कर दी थी. अमेठी को शुरुआत से ही गांधी परिवार के प्रभाव वाली सीट माना जाता है. लेकिन इस बार बीजेपी अपना रंग जमाने की पूरी कोशिश कर रही है. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनावों में स्मृति, राहुल से करीब एक लाख वोटों से हार गई थीं.

भोपाल

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और दिग्विजय सिंह के चुनाव मैदान में आमने-सामने आने के साथ ही यह तो तय था कि भोपाल का चुनावी मंजर पिछले तमाम चुनावों से जुदा रहेगा, लेकिन किस हद का होगा इसका भान किसी को नहीं था. चुनाव-प्रचार में ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा जब कोई विवाद नहीं हुआ हो. वैसे दिग्विजय ने अपने चुनाव प्रचार को विकास पर फोकस किया हुआ है. वे रोज सुबह ट्वीट के जरिए कुछ सवाल उठाते हैं, और भोपाल के विकास को लेकर उनके द्वारा किए गए काम लोगों को याद दिलाते हैं. इसके विपरीत अपने विवादास्पद बयानों के चलते 72 घंटे का प्रतिबंध झेलने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर कुछ न कुछ विवाद पैदा करती रहीं है.

नागपुर

नागपुर सीट पर भारतीय जनता पार्टी के नितिन गड़करी के सामने कांग्रेस ने नाना पटोले को चुनाव मैदान में उतारा है. नागपुर लोकसभा सीट नितिन गडकरी की वजह से सुर्खियों में है. कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाने वाली नागपुर को नितिन गडकरी ने चार बार के कांग्रेस सांसद विलास मुत्तेमवार को हराकर अपने नाम की थी. इस बार गडकरी का मुकाबला बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल नाना पटोले से है. खास बात यह है कि नाना पटोले को नितिन गडकरी ही बीजेपी में लेकर आए थे, और उन्होंने गोंदिया-भंडारा लोकसभा से एनसीपी के कद्दावर नेता प्रफुल्ल पटेल को साल 2014 में हराया था. अब पटोले नितिन गडकरी के खिलाफ ही ताल ठोक रहे हैं. आरएसएस का मुख्यालय होने के बाद भी इस सीट पर बीजेपी अब तक सिर्फ दो बार ही जीत दर्ज कर पाई है.

आजमगढ़

आजमगढ़ से इस बार समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने उनके खिलाफ राजनीति के नए सितारे भोजपुरी फिल्मों के हीरो दिनेश लाल निरहुआ को उतारा है. हालांकि, वो अखिलेश यादव को ज्यादा टक्कर नहीं देते दिख रहे है. लेकिन बीजेपी उनकी पॉपुलैरिटी भुनाने की कोशिश कर रही है. इस सीट से 2014 में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने चुनाव लड़ा था. उनके सामने बीजेपी के रमाकांत यादव थे, जो इस सीट से 2009 में सांसद बने थे.

गुरदासपुर

गुरदासपुर सीट से इस बार बीजेपी ने अभिनेता सनी देओल को मैदान में उतारा है, जिसकी वजह से इस सीट के चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है. बीजेपी को विश्वास है कि ये सीट सनी देओल के सहारे जीती जा सकती है तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने सुनील जाखड़ को मैदान में उतारा है. सुनील फिरोजपुर से जाकर गुरदासपुर में चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस ने सनी के राजनीतिक अनुभव की कमी को ही अपना हथियार बनाने का फैसला किया है. कांग्रेस पहले गुरदासपुर में चुनाव प्रचार के लिए किसी स्टार चेहरे को लाना चाहती थी, लेकिन अब इस विचार को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. 

बेगूसराय

कन्हैया कुमार के चलते बिहार की बेगूसराय सीट सुर्खियों में तो पहले से ही रही है, लेकिन जैसे ही बीजेपी की तरफ से गिरिराज सिंह मैदान में उतरे तो ये सीट और भी ज्यादा चर्चा में आ गई. एनडीए के गिरिराज सिंह और महागठबंधन की ओर से डॉ. तनवीर हसन के बाद अब जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी सीपीआई उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से चुनावी मैदान में हैं.

मथुरा

मथुरा सीट से भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी के खिलाफ गठबंधन के उम्मीदवार नरेंद्र सिंह और कांग्रेस से महेश पाठक चुनावी मैदान में हैं. सांसद हेमा मालिनी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. उन्होंने कहा कि मथुरा में जो भी विकास दिख रहा है, वह सब उनकी वजह से है. लेकिन इस बार मथुरा के मिजाज बदले हुए हैं ऐसे में जहां कुछ भी हो सकता है.

मुंबई नॉर्थ

मुंबई नॉर्थ से बॉलिवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर चुनावी मैदान में हैं तो उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा सांसद गोपाल शेट्टी से है.  इस सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. हालांकि बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा ने वर्ष 2004 में पूर्व पेट्रोलियम मंत्री राम नाईक को यहां से पराजित किया था. नाईक इस समय उत्तर प्रदेश के राज्यपाल हैं. नाईक को वर्ष 2009 में संजय निरूपम के हाथों फिर हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन साल 2014 में मोदी लहर के दौरान गोपाल शेट्टी ने निरूपम को पराजित कर दिया था.

गुना-शिवपुरी सीट

हाईप्रोफाइल सीट मानी जाने वाली गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से ज्योदित्यराज सिंधिया चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस के इस दिग्गज नेता को हरा पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं है, लेकिन इस सिंधिया को उनके गढ़ गुना-शिवपुरी में घेरने के लिए बीजेपी ने एक डॉक्टर को मैदान में उतारा है. डॉक्टर केपी यादव पहले कांग्रेस में ही थे और सिंधिया की जीत के राजदार रहे थे, लेकिन पिछले उपचुनाव में अपनी अनदेखी के बाद कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए. अब लोकसभा चुनाव में वे उन्हीं सिंधिया के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं.

उत्तर पूर्वी दिल्ली

उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस प्रत्याशी शीला दीक्षित ने चुनावी रण में हैं. बता दें कि पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की अटकलें थीं, लेकिन उम्मीदवारों के ऐलान के साथ अटकलों पर पूरी तरह से विराम लग गया. उत्तर पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी से शीला दीक्षित की सीधी टक्कर है. कांग्रेस की तरफ से शीला दीक्षित के आने बाद ये सीट हाई प्रोफाइल हो गई है. मनोज तिवारी ने को कहा कि शीला दीक्षित के मैदान में आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन टक्कर में मजा आएगा.

जयपुर ग्रामीण

लोकसभा सीट जयपुर ग्रामीण से चुनावी अखाड़े में बीजेपी उम्मीदवार कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर हैं. जयपुर ग्रामीण सीट पर चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है. वहीं कॉमनवेल्थ गेम्स में चमक बिखरने वाली कांग्रेस उम्मीदवार कृष्णा पुनिया जातीय समीकरण के सहारे चुनावी उलट-फेर का लक्ष्य साध रही हैं. दोनों हाई प्रोफाइल उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर को देखते हुए साफ है कि जयपुर ग्रामीण सीट के चुनावी नतीजे की फिनिश लाइन जातीय समीकरण बन गई है.

रामपुर

रामपुर विधानसभा से नौवीं बार विधायक बने आजम खान इस बार रामपुर सीट से एसपी-बीएसपी के गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उनके सामने एसपी की पूर्व सांसद जया प्रदा हैं, जो इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होकर आजम खान के खिलाफ मैदान में उतरी हैं. रामपुर लोकसभा सीट के अंदर 5 विधानसभा सीटें हैं- सुआर, चमरउआ, बिलासपुर, रामपुर, मिलक. ये पूरे यूपी में सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाली सीट रामपुर ही है. ऐसे में चुनावी दंगल पूरी तरह पेचीदा हो गया है.

पटना साहिब

बिहार की पटना साहिब लोकसभा सीट से इस बार महामुकाबला देखने को मिलने वाला है. पटना साहिब से भाजपा उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का मुकाबला भाजपा छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले शत्रुघ्न सिन्हा से है. बिहारी बाबू के नाम से मशहूर प्रसिद्ध अभिनेता, दो बार के सांसद और प्रखर वक्ता शत्रुघ्न सिन्हा हैं. वहीं दूसरी ओर रविशंकर प्रसाद भी जाने-माने वकील और कुशल वक्ता हैं. वह केंद्रीय आईटी और कानून मंत्री हैं.

भाजपा के बागी और अब कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा जहां लगातार तीसरी बार पटना साहिब से जीत के लिए जोर लगा रहे हैं. वहीं भाजपा के रविशंकर प्रसाद पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. बिहार राज्य की राजधानी की सीट होने के नाते पटनासाहिब हमेशा ही वीआईपी सीट की श्रेणी में गिनी जाती रही है. लेकिन इस बार चुनाव में इस सीट पर पूरे देश की नजर है.