lok sabha Election Results 2024: छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है. दोनों ही पार्टियों ने दिग्गजों के साथ-साथ नए चेहरों पर भी दांव लगाया है. 4 जून को आने वाले लोकसभा चुनाव परिणाम जीतने और हारने वाले प्रत्याशियों का भविष्य तय करेंगे. जीतने वाले प्रत्याशी जहां उम्मीदों और आशाओं की नई ऊंचाइयों को छुएंगे तो वहीं दूसरी ओर हारने वाले प्रत्याशियों के सामने गुमनामी के अंधेरे में गुम हो जाने का खतरा मंडराएगा.
बता करें भारतीय जनता पार्टी की तो, पार्टी ने सरोज पांडेय, विजय बघेल और संतोष पांडेय पर फिर से भरोसा जताया है, इनके साथ दिग्गज नेता बृजमोहन अग्रवाल को पहली बार रायपुर लोकसभा सीट से उतारकर बड़ा संकेत दिया है. इनके अलावा पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर आए चिंतामणि महाराज के अलावा राधेश्याम राठिया, कमलेश जांगड़े, तोखन साहू, रूपकुमारी चौधरी, महेश कश्यप और भोजराज नाग को चुनाव मैदान में उतारा है.
दूसरी ओर कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक बार फिर लोकसभा चुनाव मैदान में उतारा है. उनके साथ उनके मंत्रिमंडल में सहयोगी रहे डॉ. शिव डहरिया, ताम्रध्वज साहू, कवासी लखमा को भी प्रत्याशी बनाया है. इनके अलावा ज्योत्सना महंत, बिरेश ठाकुर के अलावा विकास उपाध्याय, राजेंद्र साहू, शशि सिंह, डॉ. मेनका देवी सिंह और देवेंद्र यादव को भी मैदान में उतारा है.
भाजपा और कांग्रेस के तमाम प्रत्याशियों में से कुछ ऐसे चेहरे हैं, जिनकी इस चुनाव में खासी चर्चा है. इनमें कोरबा से चुनाव लड़ रहीं भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय, रायपुर से चुनाव लड़ रहे बृजमोहन अग्रवाल और दुर्ग से भाजपा प्रत्याशी विजय बघेल शामिल हैं. वहीं कांग्रेस प्रत्याशियों में राजनांदगांव से चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा जांजगीर-चांपा से चुनाव लड़ रहे डॉ. शिव डहरिया और बस्तर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे कवासी लखमा की चर्चा है.
सरोज पांडेय
सरोज पांडेय के तौर पर छत्तीसगढ़ की एकमात्र राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने एक ही समय में महापौर के साथ विधायक और सांसद बनने का कीर्तिमान स्थापित किया. वर्ष 2009 में दुर्ग सीट पर भाजपा के बागी नेता ताम्रध्वज साहू को पराजित कर पहली बार लोकसभा में पहुंची. लेकिन वर्ष 2014 के कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू से महज 16-17 हजार वोटों के अंतर से हार गईं. हार के बावजूद सरोज पांडेय की पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए भाजपा हाईकमान ने 2018 में राज्यसभा भेजा.
अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने फिर से सरोज पांडेय को मैदान में उतारने का फैसला लिया है. लेकिन इस बार दुर्ग से नहीं बल्कि कोरबा से कांग्रेस की ज्योत्सना महंत के खिलाफ मुकाबले में हैं.
बृजमोहन अग्रवाल
बृजमोहन अग्रवाल प्रदेश स्तर के कद्दावर नेता हैं. आठ बार के विधायक बृजमोहन अग्रवाल राजधानी रायपुर की रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं, जहां से पिछली बार उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी महंत रामसुंदर दास को रिकार्ड 67,919 मतों के अंतर से पराजित किया.
विधानसभा के भीतर और बाहर भी जनसरोकार से जुड़े मुद्दों को पूरी शिद्दत से उठाने वाले बृजमोहन अग्रवाल को भाजपा आलाकमान ने अबकी बार रायपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाया है. बृजमोहन अग्रवाल के लिए हार-जीत का सवाल नहीं है, बल्कि जीत का अंतर कितना होगा, यह बड़ा सवाल है.
विजय बघेल
सरोज पांडेय और बृजमोहन अग्रवाल के बाद लोकसभा चुनाव लड़ रहे भाजपा के किसी नेता की ज्यादा चर्चा है, तो वह विजय बघेल हैं. विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल से चुनाव हारने के बाद अब उन्हें फिर से दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है. विजय बघेल का मुकाबला कांग्रेस के राजेंद्र साहू से है.
विजय बघेल ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर को रिकार्ड 3,91,978 मतों के अंतर से पराजित किया था. विजय बघेल ने 8,49,374 मत हासिल किए थे, वहीं प्रतिमा चंद्राकर को 4,57,396 मत मिले थे.
भूपेश बघेल
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दूसरी बार लोकसभा चुनाव में दांव आजमा रहे हैं. वर्तमान में राजनांदगांव सीट पर भाजपा के वर्तमान सांसद और प्रत्याशी संतोष पांडेय के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं. इसके पहले अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से पाटन विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं.
भूपेश बघेल को लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारकर कांग्रेस ने आश्चर्यचकित कर दिया था. जीतने की स्थिति में भविष्य को लेकर लोगों के मन में कौतुहल है, वहीं संतोष पांडेय के खिलाफ हारने से बनने के बाद की भी बनने वाली स्थिति की लोग चर्चा कर रहे हैं. कुल मिलाकर प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चा भूपेश बघेल की वजह से राजनांदगांव सीट की हो रही है.
डॉ. शिव डहरिया
डॉ. शिव डहरिया कांग्रेस के अनुसूचित जाति चेहरा हैं. साल 2003 में पहली बार डॉ. डहरिया आरंग से विधायक बने. 2008 में प्रदर्शन को दोहराते हुए जीत हासिल की. साल 2018 में मिली जीत के बाद भूपेश बघेल की सरकार मे नगरीय निकाय मंत्री के पद बने.
शिव डहरिया को भी लोकसभा चुनाव में उतारकर कांग्रेस को लोगों को आश्चर्य में डाल दिया है. डहरिया का मुकाबला जांजगीर-चांपा की आरक्षित सीट पर भाजपा की कमलेश जांगड़े से मुकाबला है. जीत के लिए कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेताओं ने जांजगीर-चांपा में पूरी ऊर्जा झोंक दी है.
कवासी लखमा
कांग्रेस ने कवासी लखमा बस्तर लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान सांसद और प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का टिकट काट कर अपना प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस के दीपक बैज की बजाए कवासी लखमा को बस्तर सीट पर प्राथमिकता दिए जाने की वजह उनकी क्षेत्र के अंदरुनी इलाके पर पकड़ को बताया जाता है. कवाली लखमा एक ऐसा चेहरा है, जिसे बस्तर के गांव-देहात के भी लोग भली-भांति परिचित है.
बस्तर में दादी नाम से मशहूर कवासी लखमा ने पंच के पद से अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की और मंत्री तक पहुंचे. 2023 के विधानसभा चुनाव में छठवीं बार सुकमा जिले की कोंटा विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए. उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी सोयम मुका को 1981 वोटों से चुनाव हराया था. कवाली लखमा का मुकाबला बस्तर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के महेश कश्यप से हैं, जो खुद पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.