बिंद्रानवागढ़ में कांग्रेस ओवर कॉन्फिडेंस पर, तो राजिम में भाजपा की सीट जातिगत पेंच में फंस रही. महासमुंद लोकसभा सीट पर जीत गरियाबंद जिले की यही दो विधानसभा के परिणाम तय करते हैं.
पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। महासमुंद के महाभारत में जीत के अपने-अपने दावों के बीच राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन दोनों सीटों पर लोकसभा में सियासी बिसात विधानसभा से अलग है. ऐसे में दावा किया जा रहा है कि परिणाम भी विधानसभा के विपरित देखने को मिलेगा. इसे भी पढ़ें : Raipur Loksabha Elections 2024: बृजमोहन और विकास के अलावा कौन-कौन कर रहा रायपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी ?
भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले बिंद्रा नवागढ़ में कांग्रेस ने सेंध लगाकर इस बार जनक ध्रुव के रूप में अपना विधायक बनाने में सफल हो गई. यही वजह है कि इस सीट से लोकसभा प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू को खासी बढ़त बनाने का दावा कांग्रेसी कर रहे हैं. कॉन्फिडेंस का लेबल कितना हाई है, इससे भी अंदाजा लगा सकते हैं कि बिंद्रा नवागढ़ में अब तक किसी बड़े नेता का सभा नहीं कराई गई है. चुनाव प्रभारी का तक अता पता नहीं, प्रचार सामग्री भी इस क्षेत्र में नहीं पहुंच पाया है. विधायक जनक ध्रुव प्रचार का कमान संभाले हुए हैं, जबकि मैनेजमेंट की जवाबदारी ताम्रध्वज साहू के बड़े बेटे जितेंद्र साहू के हाथ में है.
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बिंद्रानवागढ़ में कांग्रेस सभाओं व प्रचार सामग्री में पीछे है. पिछले 20 दिनों में जिला कांग्रेस कमेटी के कई ऐसे पदाधिकारी जिनकी जमीन स्तर पर पकड़ है, वे पार्टी छोड़ भाजपा प्रवेश कर गए हैं. विधानसभा में जनक ध्रुव के खुले समर्थन में उतरे भाजपा के परंपरागत वोटर्स माने जाने माली समाज का रुख भी इस बार साफ नहीं है. कांग्रेस के लिए समर्थन जुटाने वाले यादव समाज के कई चेहरे भी इस बार भाजपा का झंडे थामे नजर आ रहे हैं. भाजपा सत्ता में वापस आ गई है, लिहाजा विधानसभा में गोवर्धन मांझी के लिए बगावत कर जनक को सीधे फायदा पहुंचाने वाले कई नामचीन चेहरे भी इस बार भाजपा के पक्ष में खुल कर काम करते दिखाई दे रहे हैं.
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राजिम में इस बार साहू समाज के विधायक रोहित साहू हैं, जिन्होंने अमितेश शुक्ल को हराया है. लोकसभा के चुनाव प्रभारी भी भाजपा ने रायपुर ग्रामीण विधायक मोतीलाल साहू को बनाया है, उप मुख्यमंत्री अरुण साव समेत साहू समाज के कई दिग्गज नेता लगातार राजिम क्षेत्र में साहू समाज की सभा ले रहे हैं, ताकि साहू समाज के वोटर्स समाजिक फैक्टर में ना फंस जाए.
महासमुंद लोकसभा को कांग्रेस अपनी परम्परागत सीट मान चुकी थी, लेकिन 2024 के पहले तीन चुनाव में लगातार साहू समाज से खड़े किए गए प्रत्याशियों ने कांग्रेस को इस सीट पर मात देते आ रही थी. इस बार भी समाज से कई चेहरे दावेदारी किया था, लेकिन पार्टी ने लोकसभा में मौजूद 2 लाख मतदाता वाले साहू समाज के बजाए 17 हजार अघरिया समाज से उम्मीदवार के रूप में रूप कुमारी चौधरी को खड़ा कर दिया.
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भाजपा भले ही इसे ओबीसी का प्रतिनिधित्व के रूप में मान कर चल रही है, पर भीतरी खाने में समाज ने इसे निष्ठा का विषय बना लिया है. सूत्र बताते है कि साहू अपनी प्रभाव बनाए रखने राजनीतिक के बजाए सामाजिक समीकरण के आधार पर वोट करेंगे, कई बैठक भी हुई, जिसमें ताम्रध्वज साहू या फिर कमान संभाल रहे उनके पुत्र के साथ प्रदेश स्तर के सामाजिक पदाधिकारी मौजूद रहते हैं. कहा जा रहा है कि भाजपा समर्थित साहू नेता बैठक लेकर अपने प्रत्याशी के लिए समर्थन जुटा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी सीधे सामाजिक लोगों से संपर्क कर अपने लिए वोट मांग रहे हैं, जिसका सीधा फायदा उन्हें राजिम विस में होगा.
वहीं साहू समाज के पदाधिकारियों ने कहना है कि किसी के पक्ष के लिए कोई निर्णायक बैठक नहीं हुई है, पर माना रुझान साहू प्रत्याशी की ओर है. मामले की पुष्टि करने जब हमने साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष टहल राम साहू से बात की तो उन्होंने किसी भी पार्टी को समर्थन के लिए सुनियोजित बैठक से इंकार किया. उन्होंने कहा कि वे समाज के अध्यक्ष होने के नाते साहू समाज के तीनों प्रत्याशी का समर्थन कर रहे हैं. समाज के सदस्यों को भी समर्थन के लिए बोला जा रहा है, पर दबाव नहीं, उनकी स्वेच्छा पर छोड़ा गया है.
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साहू समाज के गरियाबंद जिला अध्यक्ष नारायण साहू भी किसी पार्टी को समर्थन देने की गई कोई भी बैठक से साफ इंकार करते है, पर आगे कहते हैं कि विधान सभा में अलग बात थी, समाज के कई कांग्रेसी भाजपा में खड़े सामाजिक प्रत्याशी रोहित साहू का समर्थन किया था, हो सकता है इस बार लोकसभा में उल्टा भी हो सकता है. सभी पार्टी से जुड़े लोग है किसी एक लिए समर्थन का कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
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