18th Lok Sabha Session: लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha speaker) पद के लिए आज फैसले का दिन है। सुबह 11बजे वोटिंग के जरिए लोकसभा को अपना स्थायी स्पीकर मिल जाएगा। 47 सालों के बाद बुधवार को फिर लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा। देश के संसदीय इतिहास में ये सिर्फ तीसरा मौका है, जब वोटिंग से लोकसभा स्पीकर का फैसला होगा। सत्तारूढ़ दल BJP और एनडीए ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) को उम्मीदवार बनाया है तो विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने कांग्रेस (Congress) सांसद के सुरेश को मैदान में उतारा है। सबसे बड़ा सवाल है कि लोकसभा में नंबर गेम में काफी पीछे इंडिया गठबंधन (india alliance) आखिर क्यों चुनाव लड़ रही है? जबकि वो नंबर गेम के आधार पर पहले ही ये मैच हारी हुई है। वहीं ओम बिरला को इंडिया गंठबंधन के उम्मीदवार के सुरेश कितनी चुनौती दे पाएंगे ? इन्हीं सब सवालों के जवाब यहां तलाशने की कोशिश करते हैंः-

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दरअसल, अध्यक्ष पद को लेकर NDA और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के बीच आम सहमति नहीं बनने के बाद दोनों गठबंधनों ने अलग-अलग उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। कांग्रेस या कहे इंडिय़ा अलांयस डिप्टी सभापति की मांग कर रहे थे। इसे BJP या NDA ने नकार दिया। इसके बाद कांग्रेस ने सभापति के लिए चुनाव लड़ने का ऐलान किया।

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पूरा खेल नंबर गेम का

लोकसभा के सभापति का चुनाव पूरी तरह नंबर गेम पर आश्रित है। एनडीए की अगुवाई कर रही बीजेपी 240 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। लोकसभा में एनडीए का संख्याबल 293 है। वहीं, विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन राहुल गांधी दो सीट से जीते थे इस लिहाज से सांसदों की संख्या 98 थी। राहुल ने वायनाड सीट छोड़ दी है. ऐसे में पार्टी की सीटें भी अब 98 हो गई हैं। कांग्रेस की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक के 233 सांसद हैं। सात निर्दलीय समेत 16 अन्य भी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। इसके अलावा, सात सांसद ऐसे हैं जिन्हें अभी लोकसभा में शपथ लेनी है, जिनमें INDIA ब्लॉक के पांच सांसद शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, स्पीकर के चुनाव के बाद उन्हें शपथ दिलाई जाएगी। नतीजतन, ये सात सांसद लोकसभा अध्यक्ष चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा वाईएसआरसीपी, जो किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं है, ने स्पीकर के चुनाव में ओम बिरला का समर्थन करने का फैसला किया है। लिहाजा INDIA Alliance नंबर गेम में NDA के सामने बिलकुल नहीं टिक रही है।

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लोकसभा स्पीकर का हारा हुआ चुनाव क्यों लड़ रहा विपक्ष

नंबर गेम में पूरी तरह फेल इंडिया गठबंधन ये जान रही है कि वो चुनाव नहीं जीत जाएगी इसके बावजूद चुनाव क्यों लड़ी है तो इसका जवाब राजनीति विशेषज्ञ देते हैं। राजनीति विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं कि एनडीए ये चुनाव नहीं जीतेगी। सभापति बीजेपी का ही बनेगा। JDU ने पहले ही कह दिया था कि स्पीकर BJP का ही होगा। वहीं TDP को भी ओम बिरला के नाम पर मना लिया गया है। क्योंकि TDP और JDU को अपने-अपने राज्यों के लिए जो चाहिए वो अंदर ही अंदर पूरी डील हो चुकी है। विपक्ष की तरफ से स्पीकर पद के लिए कैंडिडेट घोषित करने, सबसे सीनियर और दलित कम्युनिटी से आने वाले सांसद को आगे करने के बड़े राजनीतिक मायने हैं। दलित वोट विपक्ष की तरफ शिफ्ट हुए हैं। उस कार्ड को विपक्ष और मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। वहीं कई धरों में बिखरे विपक्ष को यहां मजबूत दिखाने की कोशिश की जा रही है। इसे आप माइंड गेम भी कहा जा सकता है।

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इस बार विपक्ष 2014 और 2019 की तरह कमजोर नहीं
2024 के चुनाव में BJP को 240 सीटें मिली है। ये बहुमत के आंकड़े 272 से 32 कम हैं। ऐसे में सरकार चलाने के लिए उसे सहयोगी दलों की जरूरत होगी। हालांकि, इस चुनाव के बाद विपक्षी खेमे में माहौल बदल गया है।रशीद किदवई कहते हैं, ‘चुनाव नतीजे विपक्ष की उम्मीद से काफी बेहतर रहे। BJP और कांग्रेस अब भी चुनावी प्रतिद्वंद्वी हैं। विपक्ष मैसेज देना चाहता है कि मोदी सरकार मर्यादा और परंपराओं का पालन नहीं कर रही।

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उपसभापति पद को लेकर नहीं बन सकी आम सहमति

बता दें कि सरकार और विपक्ष के बीच शुरू में सहमति बनती दिखी। हालांकि, बताया जा रहा है कि विपक्ष को उपसभापति का पद देने के मुद्दे पर सरकार की ओर से कोई प्रतिबद्धता नहीं जताए जाने के बाद बातचीत नहीं बन पाई। सरकार ने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू को पैरवी करने को आगे किया था।

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राजनाथ सिंह के कार्यालय में हुई बैठक रही विफल

राजनाथ सिंह के कार्यालय में बैठक के दौरान, कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने ओम बिरला को निर्विरोध फिर से निर्वाचित करने के बदले में विपक्ष को उपसभापति पद का तत्काल आश्वासन मांगा। हालांकि, यह स्वीकार्य नहीं था क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए कोई सशर्त समर्थन नहीं चाहता था। बैठक में मौजूद भाजपा नेताओं ने कहा कि उपसभापति पद पर चर्चा बाद में होगी और विपक्ष से परामर्श किया जाएगा. हालांकि, केसी वेणुगोपाल अड़े रहे और वार्ता विफल हो गई।

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