भोपाल ब्यूरो/देवास। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कुछ ही समय बचा है। जनता एक बार फिर अपना सांसद चुनेंगी। एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है। मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है ? आइए डालते है एक नजर एमपी की देवास लोकसभा सीट पर…
देवास लोकसभा सीट का इतिहास
देवास लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य के 29 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह निर्वाचन क्षेत्र 2008 में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के कार्यान्वयन के एक भाग के रूप में अस्तित्व में आया। परिसीमन के बाद शाजापुर निर्वाचन क्षेत्र का अस्तित्व समाप्त हो गया और देवास निर्वाचन क्षेत्र अस्तित्व में आया। यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है और इसमें सीहोर, शाजापुर, आगर मालवा और देवास जिलों के कुछ हिस्से शामिल हैं।
बीजेपी का दबदबा
साल 1951 से 2014 तक हुए चुनावों में कई बार बीजेपी रिकॉर्ड वोटों से जीती। इस सीट से कांग्रेस 1951, 1957, 2009 समेत चार बार ही जीत सकी है। वर्ष 1971 से 2004 तक भाजपा ने लगातार 10 चुनाव जीते। जनसंघ व बीजेपी के फूलचंद्र वर्मा के नाम सबसे ज्यादा बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड रहा है। इन्होंने लगातार 5 बार जीत हासिल की, जबकि मौजूदा केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत 1996 से 2004 तक चार चुनाव जीते।
देवास संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें शामिल
गहलोत की जीत का सिलसिला 2009 में कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा ने तोड़ा। 2014 में बीजेपी ने फिर सीट पर कब्जा जमाया और मनोहर ऊंटवाल ने ढाई लाख वोटों से जीते हासिल की थी। शाजापुर, देवास, सीहोर और आगर जिले की आठ सीटें देवास संसदीय क्षेत्र में शामिल हैं। इनमें शाजापुर जिले की शाजापुर, शुजालपुर व कालापीपल, देवास जिले की देवास, सोनकच्छ व हाटपिपल्या, आगर जिले की आगर और सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा शामिल हैं। इसमें देवास, शुजालपुर, आगर, आष्टा में बीजेपी का कब्जा है जबकि सोनकच्छ, हाटपिपल्या, शाजापुर व कालापीपल विधानसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा है।
बाहरी नेताओं को लोकसभा भेजने में रहा उदार
राजनीति में कई जगहों के साथ ऐसे संयोग बन जाते जो कालांतर में उसकी पहचान बन जाते हैं। देवास के साथ भी कुछ ऐसा ही है। देवास संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व ज्यादातर बाहरी उम्मीदवारों ने ही किया। जब देवास उज्जैन संसदीय सीट का हिस्सा था तब उज्जैन के हुकुमचंद कछवाय सांसद रहे। जब यह इंदौर लोकसभा सीट में आता था तो इंदौर के प्रकाश चंद्र सेठी सांसद रहे। उनके कार्यकाल में देवास को बैंक नोट प्रेस सहित अन्य कई उपक्रम मिले थे।
वहीं इस सीट से सांसद बने फूलचंद वर्मा, थावरचंद गहलोत और मनोहर ऊंटवाल भी देवास से नहीं थे। वर्तमान सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी देवास विधानसभा क्षेत्र के निवासी जरूर हैं, लेकिन वे भी इंदौर और बाहर ही रहे। अपवाद बापूलाल मालवीय थे। वे देवास के ही थे और सांसद भी चुने गए। देवास संसदीय सीट से मुंबई के बाबूराव पटेल और जगन्नाथ जोशी भी सांसद रहे। दोनों ही जनसंघ से जुड़े हुए थे।
लोकसभा चुनाव 2019
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने न्यायाधीश रहे महेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट दिया तो हर कोई पूछने लगा कि अरे…ये जज साहब कौन हैं, कहां से आ गए। न पार्टी में कभी देखा न ही मुलाकात हुई। बाद में यह बात सामने आई कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का समर्थक होने के साथ ही महेंद्र सिंह सोलंकी का टिकट संघ के दखल से तय हुआ। वहीं कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की पसंद से कबीर भजन गायक पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया को टिकट दिया, लेकिन प्रहालद टिपानिया को हार का सामना करना पड़ा और इसके बाद से ही उन्होंने राजनीतिक से दूरी बना ली।
लोकसभा चुनाव 2024
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए देवास लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। बीजेपी ने एक बार फिर महेंद्र सिंह सोलंकी पर भरोसा जताया है। वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर अब तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। देवास लोकसभा सीट पर महेंद्र सिंह सोलंकी एक बार फिर से जीत हासिल करते हैं, या फिर कांग्रेस का बेड़ा पार होगा। यह तो लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट के बाद ही पता चल सकेगा।
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