Ayatollah Ali Khamenei: ईरान (Iran) के सुप्रीम लीडर (Iran Supreme Leader) अयातुल्ला अली खामेनेई ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में भारत (India) की आलोचना की। उन्होंने भारत में मुसलमानों (Indian Muslims) की स्थिति की तुलना म्यांमार और गाजा से की थी। उन्होंने दुनियाभर के मुसलमानों से पीड़ित मुस्लिम आबादी की रक्षा के लिए एकजुट होने का आग्रह किया है। अब इसपर भारत ने भारत ने ईरान के सुप्रीम लीडर को जमकर फटकार लहगाते हुए आईना दिखाया है। विदेश मंत्रालय ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणी करने से पहले अपना रिकॉर्ड देखना चाहिए।
भारत विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (Randhir Jaiswal) ने कहा, “हम ईरान के सर्वोच्च नेता द्वारा भारत में अल्पसंख्यकों के संबंध में की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते हैं। ये गलत सूचना पर आधारित है और अस्वीकार्य है। अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी करने वाले देशों को सलाह दी जाती है कि वे दूसरों के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से पहले अपना रिकॉर्ड देखें।
दरअसल अयातुल्ला अली खामेनेई ने अपने पोस्ट में भारत की गिनती म्यांमार और गाजा के साथ की थी। खामेनेई ने इस तरह की टिप्पणी तब की है जब वह खुद सुन्नी मुस्लिम और जातीय अल्पसंख्यकों के दमन के लिए दुनियाभार में आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं। अब इसपर भारत के विदेश मंत्रालय ने पलटवार किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी करने से पहले ईरान को खुद अपना रिकॉर्ड देखना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ‘ईरान के सुप्रीम लीडर की तरफ से भारत के मुसलमानों के संबंध में की गई टिप्पणी की हम कड़ी निंदा करते हैं। ये गलत सूचना पर आधारित है और यह स्वीकार नहीं है।
8 महीने में 400 से अधिक लोगों को फांसी
बता दें कि भारत पर उंगली उठाने वाला ईरान में ही मानवाधिकार को तार-तार करने वाले मामले लगातार होते हैं। हाल के वर्षों में ईरान के भीतर फांसी देने का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है, इस पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जाहिर की है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से आई एक रिपोर्ट में बताया गया था बीते 8 महीनों के भीतर ईरान के अंदर 400 से अधिक लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। वहीं सिर्फ अगस्त महीने में 81 लोगों को फांसी दी गई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की तरफ से नियुक्त विशेषज्ञों ने कहा कि ‘हम मृत्युदंड की सजा में इतनी अधिक वृद्धि से चिंतत हैं।
हिजाब कानून तोड़ने पर महिलाओं को होती है जेल
इसके अलावा कुर्द, बलूची और अरब जैसे जातीय अल्पसंख्यक- जिनमें से कई सुन्नी भी हैं- आर्थिक और सांस्कृतिक दमन से पीड़ित हैं, जिससे उनके मताधिकार से वंचित होने की भावना बढ़ रही है। ईरान में महिलाएं सख्त हिजाब कानून और मोरैलिटी पुलिस के पहरे तले जीने को मजबूर हैं, जो महिलाएं अनिवार्य हिजाब कानून का उल्लंघन करती हैं उन्हें जुर्माना, जेल और यहां तक कि शारीरिक दंड का भी सामना करना पड़ता है।
सुन्नी मुसलमानों, जातीय अल्पसंख्यकों और महिलाओं के संबंध में स्थिति खराब
मानवाधिकार के मामले में ईरान को अक्सर आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। खासकर सुन्नी मुसलमानों, जातीय अल्पसंख्यकों और महिलाओं के संबंध में. धार्मिक स्वतंत्रता के मामले पर ईरान के अपने ट्रैक रिकॉर्ड के कारण खामेनेई की टिप्पणियों की आलोचना हो रही है। ईरान में अल्पसंख्यक सुन्नी मुसलमानों को लगातार तेहरान जैसे प्रमुख शहरों में मस्जिद बनाने के अधिकार से वंचित किया जाता रहा है और सरकारी और धार्मिक संस्थानों में भारी भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
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