कोलकाता. सोशल मीडिया की लत ऐसी है जिसकी गिरफ्त में एक बार इंसान आता है तो उससे पीछा छुड़ाना बड़ा मुश्किल हो जाता है. सोशल मीडिया की लत लोगों को ऐसा गिरफ्त में लेती है कि इंसान का काम भी प्रभावित होता है.

इन दिनों बंगाल में एक खास ट्रेंड सामने आया है. बंगाल के युवा जो शादी के लिए अच्छी जीवनसाथी की तलाश में है. वे इन दिनों खास तौर पर वैवाहिक विज्ञापन में इस बात का उल्लेख करते हैं कि उनकी भावी जीवनसंगिनी को सोशल मीडिया की लत न हो.

पश्चिम बंगाल के अखबारों औऱ मैट्रीमोनियल साइट्स में इस तरह के वैवाहिक विज्ञापनों की भरमार है. जिनमें से खास तौर पर लिखा जाता है कि युवाओं की भावी जीवनसाथी सोशल मीडिया की लती न हो. पश्चिम बंगाल के समाज में लोगों की ऐसी धारणा बनती जा रही है कि नशे से भी ज्यादा खतरनाक सोशल मीडिया का एडिक्शन है. अगर डाटा पर गौर करें तो देश में करीब 25 करोड़ फेसबुक और करीब 20 करोड़ एक्टिव व्हाट्सअप यूजर्स हैं.

इस बारे में लोगों का कहना है कि वे ऐसे विज्ञापन इसलिए दे रहे हैं ताकि उनका वैवाहिक जीवन सही सलामत रह सके. फेसबुक के जरिए एक्सट्रा मैरिटल अफेयर बनाने की कई घटनाएं सामने आने के बाद बंगाल के युवा शादी से पहले ही इस तरह के कदम उठा रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके. विशेषज्ञों के मुताबिक तनाव, अवसाद और स्लीपिंग डिसआरडर्स की मुख्य वजह सोशल मीडिया का एडिक्शन बनता जा रहा है. ये वाकई में चिंता का विषय है.

बंगाल का समाज भी इस चिंता से ग्रस्त है. जाहिर है उससे निपटने के लिए बंगाल के युवा जो शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं या फिर शादी का प्लान बना रहे हैं. वो अपने मैट्रीमोनियल विज्ञापन में इस बात का विशेष रूप से उल्लेख कर रहे हैं कि लड़की पढ़ी लिखी होने के साथ साथ ऐसी हो जिसे सोशल मीडिया का एडिक्शन न हो. बंगाल में ऐसे विज्ञापन छपना आम बात हो गई है.