चमोली. भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया आज विधिपूर्वक संपन्न होगी. शीतकाल के लिए मंदिर के कपाट बंद होने के दौरान हजारों श्रद्धालु इसके साक्षी भी बनेंगे. कपाट बंद होने की विधि शाम 6:45 बजे शुरू होगी. जिसके बाद रात 9:07 बजे निर्धारित समय पर भगवान बद्रीविशाल जी के कपाट 6 महीने के लिए बंद हो जाएंगे.

पूजा विधि के दौरान भगवान बद्रीविशाल की पूजा और शयन आरती की जाएगी. भगवान को घृत कंबल ओढ़ाया जाएगा. इसके बाद भगवान की डोली को जोशीमठ के नरसिंह मंदिर ले जाया जाएगा, जहां शीतकाल में भी उनकी पूजा होगी. बद्रीनाथ धाम हर साल अप्रैल-मई में खुलता है और नवंबर के तीसरे सप्ताह में शीतकाल के लिए बंद कर दिया जाता है, इस दौरान मंदिर समिति की ओर से विशेष पूजा और अनुष्ठान किया जाता है.

मां लक्ष्मी से की गई गर्भगृह में विराजित होने का प्रार्थना

इससे पहले 16 नवंबर को मां लक्ष्मी की पूजा की गई. उन्हें कढ़ाई के प्रसाद का भोग लगाया गया. फिर देवी लक्ष्मी से बद्रीनाथ मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होने की प्रार्थना की गई. ‘बद्रीनाथ के मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री भेष धारण कर माता लक्ष्मी को श्री बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में विराजमान किया.

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वेद ऋचाओं का वाचन, केदारेश्वर और आदि शंकराचार्य के कपाट भी बंद

बता दें कि गणेश मंदिर के कपाट 13 नवंबर को बंद हो गये थे. इसी क्रम में पंचपूजा के दूसरे दिन केदारेश्वर तथा जगद्गुरु आदि शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए. 15 नवंबर की शाम वेद पुस्तकों की पूजा-अर्चना, खडग-पुस्तक पूजा संपन्न होने के बाद वेद ऋचाओं का वाचन बंद हो गया.

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