अक्सर लोग गुजरात में कच्छ का रेगिस्तान ही घूमने जाते हैं, लेकिन यदि आप इस बार कच्छ घूमने जा रहे हैं, तो यहां से 25 किमी दूर काला डुंगर पहाड़ पर स्थित दत्तात्रेय मंदिर पर जरुर जाएं. यहां आपको एक ऐसा नज़ारा दिखाई देगा जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे. Read More – ऑलिव कलर के स्विमसूट में Monalisa ने शेयर किया Photo, 41 की उम्र में दिखाई दिलकश अदाएं …
- काला डुंगर के पहाड़ पर विख्यात दत्तात्रेय मंदिर पर हर दिन 70-80 की संख्या में सियार भी रहते हैं, जो रोजाना शाम को मंदिर में मिलने वाला खिचड़ी का प्रसाद खाते हैं.
- यह सिलसिला कुछ समय से नहीं, बल्कि 500 सालों से निरंतर चला आ रहा है.
- आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सियार की टोली का यह नियम रोजाना का है. वे रोजाना शाम मंदिर के पास ही बने और ‘लोंग प्रसाद ओटलो’ नाम से पहचाने जाने वाले चबूतरे पर पहुंच जाते हैं.
- वे मंदिर के पुजारियों से लेकर सारे कर्मचारियों को भी भली-भांति पहचानते हैं. खाने के लिए सियार कभी आपस में झगड़ते नहीं और पूरे इम्तिनान से चबूतरे पर खिचड़ी परोसे जाने का इंतजार करते रहते हैं और खिचड़ी खाने के बाद वापस जंगल की ओर कूच कर जाते हैं. Read More – अगहन के गुरुवार : 15 खूबसूरत अल्पना रंगोली डिजाइन से करें मां लक्ष्मी का स्वागत …
खाना खाते ही जंगल में ओझल हो जाते हैं
मंदिर प्रशासन के नियमानुसार जब सियारों को खाना दिया जाता है, तब इनके पास लोगों को नहीं जाने दिया जाता. हां, उन्हें मंदिर के पास से देखा जा सकता है. सियार लगभग 10-15 मिनट में खाना खत्म कर वापस जंगल में ओझल हो जाते हैं. इतना ही नहीं, खिचड़ी खाने के लिए यहां कई पक्षी व कुत्ते भी पहुंचते हैं, लेकिन वे सभी सियारों के जाने का इंतजार करते हैं. यानी की उन्हें यह अच्छी तरह से पता है कि मंदिर के इस प्रसाद पर पहला हक सियारों का है.
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