पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की कहानी लिखने के लिए भगवान गणेश का स्मरण किया था. उन्होंने गणेश से महाभारत लिखने का अनुरोध किया, जिस पर गणेश ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया. कहा जाता है कि गणेश ने महर्षि वेदव्यास के सामने एक शर्त रखी. गणेश जी ने महर्षि वेदव्यास से कहा कि आपको बिना रुके लगातार महाभारत की कथा सुनानी है. इस पर महर्षि वेदव्यास ने भी गणेश जी से शर्त रखी कि वे बिना समझे वाक्य नहीं लिखेंगे. इसके बाद महाभारत का लेखन प्रारंभ हुआ. लेकिन क्या आपको पता है भगवान गणेश ने किस स्थान पर बैठकर महाभारत लिखिए और भारत में वह स्थान किस जगह पर है.
आइये जानते हैं आखिर कहां बैठ कर लिखी गणेश जी ने महाभारत…
उत्तराखंड के मांणा गांव देश का आखिरी नहीं बल्कि प्रथम गांव के रूप में जाना जाता है. जब महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी को महाभारत लिखने को कहा तब गणेश जी को बिना समझे वाकया नहीं लिखने की शर्त मिली जब तक गणेश वाक्य को समझेंगे तब तक महर्षि को सोचने का समय मिल गया होगा. Read more – अंबानी परिवार की गणेश चतुर्थी पूजा में पहुंची Rekha, डॉर्क मरून कलर की साड़ी में लगी कयामत …
इस प्रकार महाभारत की रचना महर्षि वेद व्यास और भगवान श्री गणेश ने की थी. भगवान व्यास ने यहां गणेश का आह्वान किया था, जिसके बाद गणेश इसी गणेश गुफा में बैठकर पुराण लिखने लगे. इस प्रकार गुफा में पहुँचे.
उत्तराखंड के चमोली जिले में मांणा गांव है. यह गांव बद्रीनाथ धाम से सिर्फ 3 किमी दूर है, जहां प्राचीन गणेश गुफा स्थित है. गुफा में भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित है. आज भी यहां देश-विदेश से श्रद्धालु गणेश जी और महर्षि देव व्यास के दर्शन के लिए आते हैं. गणेश गुफा तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले मांणा गांव आना पड़ता है और मांणा गांव से थोड़ी दूर पर गणेश गुफा, व्यास गुफा, मुचकुंद गुफा स्थित है. मांणा गांव तक सड़क संपर्क पूरी तरह से सुलभ है. वहीं, निकटतम हवाई सेवा केवल गौचर के लिए उपलब्ध है और निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश, देहरादून है.
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