इन्द्रपाल सिंह, नर्मदापुरम/ इदरीश मोहम्मद, पन्ना। क्या आपने कभी सुना है कि दुनिया के पालनहार भगवान खुद भी कभी बीमार पड़ जाते हैं! सुनकर तोड़ा अजीब लगा न, लेकिन इस संसार में भगवान भी बीमार हो जाते है जी हां, हम बात कर रहे है पन्ना के भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की जो आज से 15 दिनों के लिए लू लगने से बीमार हो गए है। इधर नर्मदापुरम में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर प्राचीन श्री जगदीश मंदिर में जगन्नाथ पुरी ओडिशा की भांति समस्त पूजा विधि का पालन किया गया।
पन्ना में 15 दिनों के लिए भगवान जगन्नाथ स्वामी मंदिर के पट बंद कर दिए गए है। बतादें की यहां मान्यता है कि वैदिक मंत्रोच्चार के साथ औषधीय जल से भगवान को स्नान कराया जाता है। इसी दौरान लू लगने से भगवान बीमार पड़ जाते है। जिससे उनकी दिनचर्या और भोजन व्यवस्था भी बदल दी जाती है। ठीक होने तक उन्हें प्रतिदिन वैद्य द्वारा दवा देने की परंपरा भी निभाई जाती है। इस दौरान मंदिर के कपाट भक्तों के लिए बंद रहेंगे।
पन्ना जिले में भगवान जगन्नाथ स्वामी जी प्राचीन मंदिर है। जहां पर भगवान जगन्नाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ विराजमान है। पन्ना में भगवान जगन्नाथ स्वामी जी मंदिर में रथयात्रा का कार्यक्रम बड़े धूमधाम हर्षोल्लास के साथ 175 वर्षो से भी पहले से मनाने की परंपरा चली आ रही है। लेकिन रथयात्रा के पहले भगवान को लू लग जाने से बीमार पड़ जाते है। भगवान जगन्नाथ स्वामी जी को धूप में स्नान कराने से लू लग जाती है। जिसके चलते वे बीमार हो गए है। भगवान जगन्नाथ स्वामी मंदिर में आज के दिन सुबह राज परिवार की उपस्थिति में भगवान के स्नान यात्रा की रस्म की गई। इसी के साथ ऐतिहासिक रथ यात्रा महोत्सव का आगाज भी हो जाता है।
बीमार भगवान को ठीक करने के लिए भक्त प्रार्थना करते हैं। सबसे पहले भगवान को मंदिर के गर्भगृह से बाहर लाया जाता है। जानकार बताते है कि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के 36 वर्ष बाद पन्ना में भी आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया को जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकालने की शुरुआत हुई। बीते 175 सालों से रथयात्रा निकालने का सिलसिला यहां अनवरत चला आ रहा है। इस रथ यात्रा में हजारों की भीड़ के साथ घोड़े-हाथी, ऊंट की सवारी निकलती है। यहां पुरी की तर्ज पर भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पारंपरिक तरीके से निकाली जाती है।
इन्द्रपाल सिंह, नर्मदापुरम। मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर प्राचीन श्री जगदीश मंदिर में जगन्नाथ पुरी ओडिशा की भांति समस्त पूजा विधि का पालन किया गया। इसी क्रम में आज भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को महास्नान कराया गया। इस दौरान भगवान को दूध, दही, नर्मदा जल, गंगा जल, पंचामृत, शहद आदि से दिव्य स्नान कराया गया। करीब दो घंटे चले महास्नान के बाद भगवान की दिव्य आरती हुई। जिसमें भक्तजन श्रद्धा के साथ शामिल हुए।
ज्येष्ठ पूर्णिमा से लेकर रथयात्रा तक भगवान जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह के बाहर ही विराजते हैं। जिसे लेकर भक्तों में उत्साह का माहौल रहता है। महास्नान के बाद मान्यता के अनुसार भगवान बीमार होकर गर्भगृह में चले जाएंगे। आषाढ़ दूज 7 जुलाई को भगवान स्वस्थ्य होकर शहर में भक्तों को दर्शन देने रथयात्रा पर निकलेंगे। मंदिर के महंत नारायणदास ने बताया कि मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान महास्नान के बाद अस्वस्थ हो जाते हैं। इसलिए उन्हें दिव्य पदार्थों से स्नान कराया जाता है। इसके बाद वे 15 दिन गर्भगृह में रहेंगे।
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