देहरादून. भगवान केदारनाथ शुक्रवार को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो गए हैं. वैदिक मंत्रोच्चार एवं पूजा-अर्चना के साथ बाबा केदार की भोगमूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया है. इस पावन दृश्य के सैकड़ों श्रद्धालु साक्षी बने. इस दौरान पूरा क्षेत्र बाबा के जयकारों से गूंज उठा.
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार सुबह नौ बजे भगवान केदारनाथ की चल उत्सवह विग्रह डोली ने विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया। भैंसारी गांव होते हुए होते हुए डोली सुबह 11 बजे विद्यापीठ पहुंची. जहां पर राजकीय महाविद्यालय व आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने डोली का स्वागत किया. यहां से डोली जैयवीरी पहुंची, जहां पर अरुण महाराज एवं चुन्नी गांव के ग्रामीणों ने भगवान केदारनाथ का स्वागत किया। ग्रामीणों ने अपने आराध्य को सामूहिक अर्घ्य भी लगाया.
बता दें कि यहां से देवदर्शनी होते हुए बाबा की चल उत्सव विग्रह डोली दोपहर 12.15 बजे पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंची. मंदिर परिसर में मौजूद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने डोली की अगवानी करते हुए पुष्प व अक्षत से बाबा केदार का स्वागत कर घर-परिवार की सुख-समृद्धि की मनौती मांगी. इस मौके पर पूरा ऊखीमठ क्षेत्र बाबा के जयकारों से गूंज उठा.
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गौरतलब है कि चल उत्सव डोली के ओंकारेश्वर मंदिर की परिक्रमा के बाद पुजारी शिव शंकर लिंग ने डोली की आरती उतारी. इसके बाद डोली को परंपरानुसार पंचकेदार गद्दीस्थल में विराजमान किया गया. जहां पर रावल भीमाशंकर लिंग ने धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करते हुए स्वर्ण मुकुट धारण किया. साथ ही केदारनाथ में पुजारी रहे शिव लिंग ने रावल को भोगमूर्ति व नागताला सौंपा. मंदिर के वेदपाठियों ने वेद मंत्रोच्चारण के साथ भगवान केदारनाथ की भोगमूर्तियों को छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया.