हिंदू धर्म में नवजात के जन्म के 6 दिन बाद जिस तरह से छठी पूजा की जाती है. ठीक वैसे ही जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल का जन्मदिन मनाने के बाद उनकी छठी पूजा होती है. जन्माष्टमी के 6 दिन बाद कन्हैया की छठी की रस्म मनाई जाती है. पंडितों के अनुसार, चूंकि कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाया गया था, इसलिए इसके 6 दिन बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को लड्डू गोपाल की छठी पूरे विधि-विधान से मनाई जाएगी.
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि इस बार 1 सितंबर, 2024 को पड़ रही है, इस दिन योग परिघ शाम 5 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शिव योग लग जाएगा. नक्षत्र अश्लेशा रहेगा. सूर्य देव सिंह राशि में तो चंद्र देव कर्क राशि में रहेंगे. कई भक्त कृष्ण छठी पर उपवास रखते हैं, पूजा करने और लड्डू गोपाल को भोग लगाने के बाद ही अन्न ग्रहण करते हैं.
महत्वपूर्ण कढ़ी- चावल का भोग
सनातन धर्म में छठी के दिन कढ़ी- चावल बनाने की भी परंपरा है . श्री कृष्ण की छठी में कढ़ी- चावल का भोग लगाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए भगवान को छठी के दिन कढ़ी- चावल का ही भोग लगाएं. साथ ही श्री कृष्ण को माखन- मिश्री का भोग जरूर लगाए.
छठी के दिन बन रहे शुभ योग
इस साल लड्डू गोपाल की छठी के दिन आश्लेषा और मघा नक्षत्र के साथ परिघ और शिव योग भी बन रहा है. इसके साथ ही सूर्य सिंह राशि में ही विराजमान होंगे और चंद्रमा भी इसी राशि में आएंगे. ऐसे में इस अवधि में कान्हा की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति हो सकती है.
भोग की कढ़ी बनाने की विधि
यह तो सभी को पता है भगवान के भोग में लहसुन प्याज का उपयोग नहीं होता है. इस भोग को बनाने के लिए पूरी शुद्धता बहुत जरूरी है. कढ़ी बनाने के लिए बेसन में अजवाइन, नमक और थोड़ा पानी मिलाकर गाढ़ा घोल बना लें. इसके बाद एक बर्तन में दही, बेसन, हल्दी, धनिया, जीरा, हींग और नमक डालकर अच्छी तरह मिला लें. फिर धीरे-धीरे पानी डालकर गाढ़ा घोल तैयार कर लें. इसके बाद इस घोल को गैस पर मीडियम आंच पर लगातार चलाते हुए पकाएं यानी जब तक यह गाढ़ा न हो जाए तब तक पकाएं. इसके बाद तड़का देने के लिए एक पैन में तेल गरम करके उसमे जीरा, हींग, सूखी लाल मिर्च और कढ़ी पत्ता डालकर तड़का लगाएं. फिर इस तड़के को कढ़ी में डाल दें. अब आखिर में कढ़ी में पकौड़ों को डाले.
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