मेहसाणा जिले के ऊंझा में स्थित उमिया माता मंदिर नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बन जाता है. कड़वा पाटीदार समुदाय की कुलदेवी के रूप में पूजित मां उमिया को शक्ति और सृजन की अधिष्ठात्री माना जाता है. कहा जाता है कि इस स्थान पर स्वयं भगवान शिव ने माता की स्थापना की थी. देवी को जगत जननी उमा और मां पार्वती का ही एक रूप माना जाता है.

मंदिर का इतिहास और महत्व

उमिया माता का प्राचीन मंदिर गुजरात का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, कड़क पाटीदार समाज ने सदियों पहले उमिया माता को अपने कुलदेवी के रूप में स्वीकार किया और तभी से उनके मंदिर को समाज और जनजीवन का केंद्र बना दिया. मंदिर का स्थापत्य गुजरात की विशिष्ट शिल्पकला को दर्शाता है, वहीं विशाल परिसर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में रहने वाले पाटीदार समुदाय के लोग भी समय-समय पर यहां पहुंचकर माता का आशीर्वाद लेते हैं.

समुदाय और समाज से जुड़ाव

कड़वा पाटीदार समाज के लिए उमिया माता न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि उनकी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान से भी जुड़ी हुई हैं. विवाह जैसे विशेष अवसरों पर पाटीदार समाज के लोग माता का आशीर्वाद लेकर अपने कार्य की शुरुआत करते हैं. यही नहीं, गुजरात और बाहरी देशों में बसे पाटीदार समाज ने कई स्थानों पर उमिया माता मंदिरों का निर्माण करवाकर अपनी परंपरा और आस्था को जीवित रखा है.

श्रद्धालुओं की आस्था

नवरात्रि के दिनों में ऊंझा के उमिया माता मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. कई भक्त पैदल यात्रा करके मंदिर तक पहुंचते हैं और देवी को चुनरी चढ़ाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, माता की पूजा करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है. स्थानीय लोगों का मानना है कि नवरात्रि में मां उमिया की विशेष कृपा से जीवन की हर कठिनाई दूर होती है.