महादेव का ऐसा मंदिर जो साल में केवल 12 घंटे के लिए खुलता है, स्वर्ण जैसी होती है शिवलिंग की चमक

रायपुर. देशभर में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध शिवालय हैं. सालभर यहां लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती हैं. भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए लंबी-लंबी कतार आपको हर प्रसिद्ध मंदिर में मिल जाएगी. लेकिन मध्यप्रदेश में महादेव का एक मंदिर ऐसा भी है, जो केवल महाशिवरात्रि के दिन ही खुलता है. वो भी महाशिवरात्रि के दिन सुबह 6 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक सिर्फ 12 घंटे के लिए मंदिर के द्वार खोले जाते हैं.
प्रशासनिक और पुरातत्व विभाग की मौजूदगी में मंदिर को खोला जाता है और सूर्यास्त के बाद बंद कर दिया जाता है. बंद मंदिर के लिए भी भक्त यहां पहुंचते हैं. सालभर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है. मंदिर के गेट पर ताला लगा रहता है. भक्त गेट के बाहर से बाबा की पूजा करते हैं और मन्नत मांगते हैं. मन्नत मांगने के दौरान ये लोग मंदिर के लोहे के गेट पर कलावा या कपड़ा बांध जाते हैं, जिसे मन्नत पूरी होने के बाद खोलने के लिए आना पड़ता है. भोलेनाथ का ये मंदिर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है. प्राचीन सोमेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर एक ऊंचे पहाड़ पर स्थित है. यहां भगवान सोमेश्वर महादेव के दर्शन काफी दुर्लभ माने जाते हैं.
मंदिर को लेकर एक बात प्रचलित है कि यहां कि शिवलिंग पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं, तो यह सोने से चमक उठती है. श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं. शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए अलग से इंतजाम किए जाते हैं. एक लोहे की जाली लगाकर भगवान शिव के दूर से ही दर्शन कराए जाते हैं और पाइप के जरिए शिवलिंग पर जल अर्पित किया जाता है.

कैसे पहुंचे मंदिर ?
राजधानी भोपाल से 45 किमी दूर स्थित रायसेन का किला इतिहास की अनूठी कहानी कहता है. 11वीं शताब्दी के आस-पास बने इस किले पर कुल 14 बार विभिन्न राजाओं, शासकों ने हमले किए. तोपों और गोलों की मार झेलने के बाद भी आज तक यह किला सीना तानकर खड़ा है. यह किला 1500 फीट ऊंची पहाड़ी पर दस वर्ग किमी में फैला है. इतिहासकारों के अनुसार रायसेन किला का निर्माण एक हजार ईसा पूर्व का माना गया है. तब आक्रमणकारियों ने मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था.
क्यों खोला जाता है साल में एक बार
इस किले के परिसर में ही एक मंदिर है, जो साल में केवल शिवरात्रि के दिन ही खुलता है. बाकी 364 दिन यह ताले में बंद रहता है. सोमेश्वर धाम मंदिर के प्रति आसपास के श्रद्धालुओं की आस्था है. यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन हो जाने के बाद इसे ताले में बंद कर दिया गया था. 1974 में नगर के लोगों ने एकजुट होकर मंदिर खोलने और यहां स्थित शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए आंदोलन किया था. उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी ने महाशिवरात्रि पर खुद आकर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा कराई थी. तब से हर महाशिवरात्रि पर मंदिर के ताले श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं और यहां विशाल मेला भी लगता है. किला परिसर में बने सोमेश्वर महादेव मंदिर के अलावा यहां हवा महल, रानी महल, झांझिरी महल, वारादरी, शीलादित्य की समाधि, धोबी महल, कचहरी, चमार महल, बाला किला, हम्माम, मदागन तालाब भी मौजूद है.
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