अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले समारोह से पहले कुछ लोगों ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पर कई तरह की विवादित टिप्पणियां की हैं. ये लोग भारतवर्ष के ही हैं. उन्हें सही राह दिखाने के लिए वृंदावन के सदगुरु, भारतीय आध्यात्मिक नेता, प्रेरक वक्ता व लेखक रितेश्वर महाराज मंगलवार को जयपुर आए.

सदगुरु ने कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य समारोह होने जा रहा है. इस पर कुछ लोगों ने विवादित टिप्पणियाँ की हैं. इन लोगों ने ना कभी रामायण पढ़ी है और ना ही संस्कृत. ना ही इन्हें भारतीय प्राचीन संस्कृति की जानकारी है. भगवान श्री राम जन-जन की आस्था के केन्द्र हैं. उन पर अशोभनीय टिप्पणी करना पूर्णतः अनुचित है.

उन्होंने बताया कि ये लोग भगवान को माँस खाने वाला मान रहे हैं. जबकि वाल्मिकी रामायण की चौपाइयों में ममसा या मनसा का तात्पर्य घने वनों में मिलने वाले फल, गूदा अथवा कंदमूल से है. दक्षिण भारतीय मंदिर शहर रंगम में जब पुजारी भगवान रंगनाथ को आम का प्रसाद चढ़ाते हैं, तो वे मंत्रोच्चारण करते हैं- “इति आम्र ममसा खंड समर्पयामिः”, अर्थात् मैं भगवान को सेवन करने के लिए आम-ममसा (आम का माँस यानि मूल) चढ़ाता हूँ. हमें पता होना चाहिए वे फल के गूदे को संदर्भित करते हैं.

 सदगुरु ने कहा कि सच्चे ज्ञान का प्रचार-प्रसार करने के लिए लोग आध्यात्म से जुड़े. प्रधानमंत्री के पूजा में बैठने पर आपत्ति वाला सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास आश्रमों में जीवन व्यतीत कर हर तरह की पूजा करता है.