ज्ञाना चंद्रा, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मानव संग्रहालय के हिमालय ग्राम मुक्तकाश प्रदर्शनी परिसर में लोसर फेस्ट में लद्दाख के लोग पहुंचे। लद्दाख नव वर्ष के उपलक्ष में आयोजित फेस्ट में लद्दाखी किचन और मनी चक्र में सुख और समृद्धि की प्रार्थना की गई। यहां के प्रवासियों के सांस्कृती और अनुष्ठानिक रीति रिवाजों के बारे में जानने को मिला।

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क्या है गुड़गुड़ चाय की खासियत ?

प्रदर्शनी में बताया कि, लद्दाख में किसान खेतों में जाते हैं तो साथ में गुड़गुड़ चाय ले जाते हैं और उसे एनर्जी ड्रिंक की तरह इस्तेमाल करते हैं। दरअसल, गुड़गुड़ चाय की खासियत यह है कि इसे पीकर आप -0 डिग्री के ठंड में भी खुद को गर्म और तरोताजा रख सकते हैं। इससे आपका इम्यून सिस्टम भी काफी बेहतर होता है और स्क्रीन में ग्लो आता है।

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500 साल पुराने गुड़गुड़ चाय का रहस्य और रेसिपी


लद्दाख से आए लोगों से लल्लूराम डॉट कॉम की खास बातचीत में बताया कि, लद्दाख में किचन को चंगसा कहा जाता है। इस चाय को बनाने का तरीका थोड़ा अलग है, इसे तैयार करने के लिए एक बर्तन में पानी लेकर उसे चूल्हे पर रखा जाता है और फीर चायपत्ती डाली जाती है। जितना उबालेंगे उतना ही रंग आएगा। इसमें नमक मखन और दूध का मिश्रण कर चाय को तैयार किया जाता है। इसके बाद इस उबाली गई चाय पत्ती के पानी को गुड़गुड़ में डालकर मिलाया जाता है। मिलाने के बाद उसे एक बार और फिर उबालते हैं। इस खास बातचीत में पता चला की वहां के पारंपरिक बर्तनों को लक्स कहा जाता है।

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