उत्तर प्रदेश में स्कूलों को मर्ज करने के सरकार के आदेश को झटका लगा है. लखनऊ हाईकोर्ट ने कहा कि अभी पुरानी स्थिति को बहाल रखा जाए. इस मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी. यह आदेश गुरुवार को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दिया है. कोर्ट के इस आदेश के बाद यूपी के 5000 स्कूलों का मर्जर रुक गया है.
दरअसल, बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून, 2025 को एक आदेश जारी किया था. इसमें यूपी के हजारों स्कूलों को बच्चों की संख्या के आधार पर नजदीकी उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने का निर्देश दिया था. सरकार ने तर्क दिया था कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा. इस आदेश के खिलाफ 1 जुलाई को सीतापुर जिले की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. एक अन्य याचिका 2 जुलाई को भी दाखिल की गई थी. याचिकाकर्ताओं का कहना था कि छोटे बच्चों के लिए नए स्कूल तक पहुंचना मुश्किल होगा. ये कदम बच्चों की पढ़ाई में बाधा बनेगा. इससे असमानता भी पैदा होगी.
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बता दें कि बीते 4 जुलाई को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस पंकज भाटिया ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 7 अगस्त को सिंगल बेंच ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था. पीठ का कहना था कि ये फैसला बच्चों के हित में है. ऐसे मामलों में नीतिगत फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती, जब तक कि वह असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हो.
गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने आदेश जारी किया कि 50 से कम संख्या वाले परिषदीय स्कूलों (कक्षा-8 तक) का विलय करने की प्रक्रिया शुरू की जाए. इसके बाद स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने सभी बीएसए से 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों का ब्योरा मांगा. साथ ही उसके पड़ोस के स्कूल की जानकारी भी मांगी. उन्होंने साफ किया है कि कम छात्र संख्या वाले स्कूल को पड़ोस के किसी स्कूल में विलय किया जाएगा.
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