M.Tech Engineer Naga Saint In Maha Kumbh 2025: महाकुंभ 2025 के लिए प्रयागराज पूरी तरह तैयार हो गया है। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन से महाकुंभ में दिव्य स्नान की परंपरा शुरू हो जाएगी। कुंभ मेले में लगातार देश-विदेश से संत-महात्मा (monk) व अखाड़ों के प्रमुखों के साथ श्रद्धालु जुटने शुरू हो गए हैं। प्रयागराज महाकुंभ में वैसे तो हजारों की संख्या में नागा संन्यासियों ने डेरा जमा लिया है। इन्हीं में से एक हैं निरंजनी अखाड़े के 55 वर्षीय नागा संत दिगंबर कृष्ण गिरि (Naga Saint Digambar Krishna Giri)। नागा संन्यासियों में सबसे अलग दिगंबर कृष्ण गिरि ही है। इनकी फर्राटेदार अंग्रेजी सुनकर वहां से गुजरने वाले दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं।
नागा संत दिगंबर कृष्ण गिरि दरअसल एमटेक इंजीनियर (MTech Engineer) हैं। कर्नाटक यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे चुके हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद मल्टीनेशनल कंपनी के सालाना 40 लाख रुपए पैकेज वाली नौकरी मिली। हालांकि नागा साधुओं के वैभव और उनकी आध्यात्मिकता से प्रभावित होकर कृष्ण गिरि ने 40 लाख की नौकरी छोड़कर सन्यासी बन गए।
इस तरह बने नागा सन्यासी
दिगंबर कृष्ण गिरि ने अपने नागा संत बनने की कहानी बताते हुए बोले कि- साल 2010 में जब हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हो रहा था। मुझे एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में वहां जाने का मौका मिला था। यहां वह नागा संन्यासियों के धर्म के प्रति उनके समर्पण से इतना प्रभावित हुए कि इन्होंने सुख सुविधा और वैभव वाली नौकरी को छोड़कर बाकी का बचा हुआ जीवन सनातन को समर्पित करने का फैसला कर लिया। पहले उन्होंने कुछ दिनों शैव संप्रदाय के निरंजनी अखाड़े के नागा संतों के बीच उनकी सेवा करते हुए बिताया। इसके बाद खुद भी सब कुछ त्याग कर जीते जी अपने हाथों अपना पिंडदान करते हुए संन्यास की दीक्षा ले ली।
अब ना तो कुछ पाने की लालसा है और ना ही कुछ खोने का गम
दिगंबर कृष्ण गिरि ने महाकुंभ जिस जगह अपना डेरा जमाया है, वहां हर वक्त धूनी जमी रहती हैं। धूनी में हर वक्त भगवान भोलेनाथ का अस्त्र त्रिशूल गड़ा रहता है। दिगंबर कृष्ण गिरि के मुताबिक नौकरी में रहते हुए उनके पास तमाम सुख सुविधा थी। पैसों की कोई कमी नहीं थी, लेकिन शांति और सुकून नहीं था। सन्यास धारण करने के बाद उन्हें फक्कड़ जिंदगी बितानी पड़ रही है, लेकिन जिंदगी पूरी तरह आनंदित और उल्लासित करती है। अब ना तो कुछ पाने की लालसा है और ना ही कुछ खोने का गम। उनके मुताबिक परिवार वालों से संबंध सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रह गया है।
भोग वाले जीवन को छोड़ने पर कोई पछतावा नहीं
अपने बीते हुए जीवन पर उन्होंने कहा कि उस जीवन को छोड़ने का मुझे कोई पछतावा नहीं है। उन्हें महाकुंभ में होने वाले तीनों शाही स्नान का बेसब्री से इंतजार है। दिगंबर कृष्ण गिरि के पुराने जीवन के बारे में जो लोग जानते हैं, वह उनके साथ फोटो खिंचाना चाहते हैं और सेल्फी लेते हैं।
कर्नाटक के रहने वाले हैं कृष्ण गिरि
55 साल के नागा संन्यासी दिगंबर कृष्ण गिरि मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं। कर्नाटक यूनिवर्सिटी से ही उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी। वह एम टेक में टॉपर थे, उन्होंने कई बड़ी कंपनियों में नौकरी की है। साल 2010 में उन्हें सालाना 40 लाख रुपये का पैकेज मिला था।
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