ललित ठाकुर, राजनांदगांव. इस बार नवरात्र में डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर विराजी मां बम्लेश्वरी का दरबार भव्य नजर आएगा, क्योंकि मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने से राजस्थानी शैली की कलाकृतियों को उकेरा गया है. गर्भगृह को 3 किलो सोने से सजाया गया है. इसके लिए मंदिर ट्रस्ट ने दान में मिले सोने का उपयोग किया है.
चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रहा है. इसके लिए मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई है. डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर विराजी मां बम्लेश्वरी के गर्भगृह को जयपुर, राजस्थान के कारीगरों ने सोने से सजाया है. दीवारो में सोने से सुंदर कलाकृति उकेरी गई है. इस काम को 26 फरवरी से 13 मार्च तक पूरा किया गया है. बताया जा रहा कि इस काम के लिए कारीगरों को मंदिर ट्रस्ट सात लाख रुपए का भुगतान करेगी.
नवरात्र में दर्शन करने पहुंचते हैं करीब 20 लाख भक्त
मां बम्लेश्वरी मंदिर राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर 1,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां साल में दो बार (चैत्र व क्वांर) में नवरात्रि पर मेला लगता है, जहां करीब 20 लाख भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. सामान्य दिनों में भी श्रद्धालु माई के दरबार में हाजिरी लगाने आते हैं. विदेशों से भी भक्त मां बम्लेश्वरी मंदिर में अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. पहाड़ी के नीचे छोटी बम्लेश्वरी का मंदिर है, जिन्हें बड़ी बम्लेश्वरी की छोटी बहन कहा जाता है. यहां बजरंगबली मंदिर, नाग वासुकी मंदिर, शीतला मंदिर भी है.
जानिए मां बम्लेश्वरी मंदिर का इतिहास
मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास 2,200 वर्ष पुराना है. प्राचीन समय में डोंगरगढ़ वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था. मां बम्लेश्वरी को राजा विक्रमादित्य की कुल देवी भी कहा जाता है, जो मध्यप्रदेश में उज्जयन के एक प्रतापी राजा थे. इतिहासकारों और विद्वानों ने इस क्षेत्र को कल्चुरी काल का पाया है. मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं, जिन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. मां को मंदिर में बम्लेश्वरी के रूप में पूजा जाता है. मां बम्लेश्वरी के दरबार में पहुंचने के लिए 1,100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. यहां रोप-वे की भी सुविधा है.
कारीगरों ने धोती धारण करके पूरा किया काम
मां बम्लेश्वरी मंदिर ट्रस्ट समिति के कोषाध्यक्ष चंद्रप्रकाश मिश्रा ने बताया, मां बम्लेश्वरी मंदिर में साज सज्जा का काम चल रहा है. सोने की नक्काशी का काम राजस्थान से आए दस कारीगरों ने किया है. मंदिर गर्भगृह में प्रवेश के दौरान कारीगरों ने भी पुजारियों की तरह धोती धारण करके ही काम पूरा किया है. निर्माण लगभग पूर्ण होने वाला है. आगामी चैत्र नवरात्र तक मंदिर का नया परिवेश दर्शन के लिए भक्तों के लिए तैयार हो जाएगा.
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