या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

नवरात्रों के आठवें दिन महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है. माँ महागौरी की पूजा से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्य प्राप्त होता है.

महागौरी आदी शक्ति हैं इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाश-मान होता है, इनकी शक्ति अमोघ फल प्रदान करने वाली हैं, देवी गौरी ने देवों की प्रार्थना व भक्तों के उद्धार हेतु शुम्भ निशुम्भ का अंत किया व सृष्टि को दैत्यों के प्रकोप से मुक्त कराया. यही शिवा और शाम्भवी के नाम से भी पूजित होती हैं. इनका पूजन सौभाग्य में वृद्धि करने वाला होता है.

महागौरी का पौराणिक महत्व

भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए देवी ने बचपन से ही कठोर तपस्या की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वीकार करते हैं और इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी का रंग विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान, अत्यंत ओजपूर्ण होता जाता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं. गौर वर्ण की होने के कारण इन्हें गौरी नाम प्राप्त हुआ. महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं.

जो देवी गौरी की पूजा करते हैं उनका जीवन सुखमय रहता है देवी उनके पापों को जला देती हैं और शुद्ध अंतःकरण देती हैं. मां अपने भक्तों को अक्षय आनंद और तेज प्रदान करती हैं.

महागौरी की पूजा विधि

नवरात्रि में इस दिन का विशेष महत्व होता है. कुछ लोग इस दिन व्रत का समापन करते हैं तो कुछ लोग नवमी के दिन. जो लोग अष्टमी पूजन करते हैं उनके लिए गौरी पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है. इस दिन देवी गौरी की पूजा का विधान पूर्ण रुप से भक्ति भाव से भरा होता है. अष्टमी के दिन भी देवी की पंचोपचार सहित पूजा करें. देवी का ध्यान करने के लिए ॐ देवी महागौर्यै नमः”. मंत्र का उच्चारण करना चाहिए.

महागौरी की मूर्ति को लाल रंग के कपडे से लिपेट कर उन्हें चैकी पर रखा जाता है. सबसे पहले श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है. पूजन में श्री गणेश पर जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, सुपारी, लोंग, पान,चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढाते हैं. इसके पश्चात कलश का पूजन भी किया जाता है.
माता को हलवा और चने के प्रसाद का भोग लगाना चाहिए. कन्या पूजन में सामर्थ्य के अनुसार इन कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए. कन्या पूजन में सर्वप्रथम कन्याओं के पैर धुलाकर उन्हें आसन पर एक पंक्ति में बिठाकर, मंत्र द्वारा कन्याओं का पंचोपचार पूजन करना चाहिए. रोली से तिलक लगाने के बाद उनकी कलाईयों पर कलावा बांधना चाहिए. इसके बाद उन्हें हलवा, पूरी और चने का प्रसाद परोसते हैं. कन्याओं के भोजन ग्रहण करने के बाद उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. अपनी सामर्थ्यनुसार, कोई भी भेंट तथा दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए. इस प्रकार श्रद्धा पूर्वक अष्टमी पूजन करने से भक्तों समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं.

  • नवरात्रि के आठवें दिन मां से शीघ्र विवाह का वरदान मिल सकता है. साथ ही वैवाहिक जीवन भी सुखमय हो सकता है.
  • माना जाता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी.
  • विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है.
  • ज्योतिष में इनका संबंध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है.

परिणाम ज्यादा शुभ के लिए क्या है मां गौरी की पूजा विधि?

  • पीले वस्त्र धारण करके पूजा आरंभ करें.
  • मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें.
  • पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें.
  • उसके बाद इनके मन्त्रों का जाप करें.
  • अगर पूजा मध्य रात्रि में की जाय तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होंगे.

विवाह की बाधा दूर करने के लिए ऐसे करें देवी महागौरी की पूजा अर्चना

  • लकड़ी के पटरे पर स्वच्छ पीला वस्त्र बिछाकर देवी महागौरी की प्रतिमा को स्थापित करें.
  • स्वयं भी पीले वस्त्र धारण करके पूरे पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें.
  • देवी महागौरी के सामने गाय के घी का दिया जलाएं और उनका ध्यान करें.
  • देवी मां को सफेद या पीले फूल दोनों हाथों से अर्पण करें तथा मंत्र का जाप करें.
  • प्रसाद के रूप में देवी महागौरी को नारियल अर्पण करें.
  • ऐसा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी और कन्याओं को सुयोग्य वर मिलता है.

देवी महागौरी पूजा से कैसे शुक्र को करें मजबूत ?

  • मां की उपासना सफेद वस्त्र धारण करके करें.
  • मां को सफेद फूल, और सफेद मिठाई अर्पित करें.
  • फिर शुक्र के मूल मंत्र ॐ शुं शुक्राय नमः का जाप करें.
  • शुक्र की समस्याओं के समाप्ति की प्रार्थना करें.
  • नवरात्रि के आठवें दिन मां को सफेद फूल अर्पित करें.
  • इससे मां की विशेष कृपा प्राप्त होगी.

नवदुर्गा का विशेष प्रसाद

  • आज मां को नारियल का भोग लगाएं.
  • इसे सर पर से फिरा कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें.
  • आपकी कोई एक खास मनोकामना पूर्ण होगी.