रायपुर। कोरबा जिले के मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक को रद्द कराने आज एक बार फिर ग्राम सभा का आयोजन हुआ. मोरगा में आयोजित इस ग्राम सभा में बड़ी संख्या में आदिवासी और जल-जंगल-जमीन को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे कार्यकर्ता जुटे. आदिवासियों ने एक बार फिर अपनी मांग दोहराते हुए यह साफ कर दिया कि किसी भी कीमत पर कोयला खदान खुलने नहीं दिया जाएगा. हमारी बस यही मांग है कि खनन के लिए भूमि अधिग्रहण की जो अधिसूचना जारी की गई है, उसे रद्द किया जाए.

आदिवासियों ने कहा कि हमने अपनी मांग से स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के समक्ष को अवगत करा दिया है. आज एक बार हमने बैठक के बाद के एसडीएम को ज्ञापन सौंप कर कह दिया कि खनन हम नहीं चाहते हैं और भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना को रद्द किया जाए.


सभा को संबोधित करते हुए पूर्व गुरुजी मिंज ने कहा कि जल जंगल जमीन सिर्फ हमारी आजीविका ही नही बल्कि अस्तित्व एवं पहचान है. ग्राम ख़िरटी की शाकुंतला एक्का ने कहा कि जब इस क्षेत्र पेसा कानून लागू है और यह पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र, तो फिर बिना ग्राम सभा की सहमति के कोई परियोजना लग ही नहीं सकती. मोदी सरकार ग्राम सभा में सतत विरोध के बाद भी हमसे जल जंगल जमीन क्यों छीनना चाह रही है ? क्या केंद्र में बैठी भाजपा सरकार को संविधान पर भरोसा नही है ?

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के कोरबा इकाई से जुड़े दीपक साहू ने कहा कि यदि आपको खनन परियोजना से विनाश देखना है तो कोरबा में आ कर देखिये. आज भी भTविस्थापित मुआवजा और नौकरी के लिए संघर्षरत् हैं.  कंपनियां शुरू में वादे करती है बाद में प्रसाशन से जुड़ कर दमनात्मक कार्यवाही करती हैं . उन्होंने कहा कि यदि हसदेव का जंगल उजड़ गया तो न सिर्फ कोरबा बल्कि जांजगीर और बिलासपुर का भी आस्तित्व संकट में आ जाएगा.

बता दें कि हसदेव अरण्य स्थित मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक जो कि व्यावसायिक प्रयोजन हेतु आंध्र प्रदेश मिनरल डेवलोपमेन्ट कॉर्पोरेशन को आबंटित हुआ है. यहाँ खनन का ठेका बिरला समूह को दिया गया है. यहाँ खनन परियोजनाओं का चौतरफा विरोध जारी है. दस गांव के सरपंचों ने मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर भूमि अधिग्रहण निरस्त करने मांग की थी. यहाँ तक की मोदी सरकार की इस गैर कानूनी कदम को रोकने हेतू विधान सभा अधयक्ष भी पत्र लिख चुके हैं.