कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। पूर्व केंद्रीय मंत्री और ग्वालियर रियासत के स्व. माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर उनका भावभीना स्मरण किया गया। नदी गेट स्थित उनकी प्रतिमा स्थल के साथ ही कटोरा ताल स्थित सिंधिया छतरी पर भी बड़ी तादाद में लोग पहुंचे थे। छतरी स्थित माधवराव समाधि स्थल पर कांग्रेस भाजपा सहित तमाम राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधियों ने पुष्पांजलि अर्पित की।

पुण्यतिथि के मौके पर अब सियासत भी शुरू हो गयी है। कांग्रेस ने जहां भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह एक इवेंट मैनजमेंट कम्पनी है, जो नामों को भुनाने के लिए यह सब करती है। वहीं भाजपा ने भी पलटवार करते हुए कांग्रेस को आड़े हाथ लिया और कहा है कि महा और पुरुषों पर किसी दल विशेष की बपौती नहीं होती है।

दरअसल यह पूरा विवाद तब से शुरू हुआ है जब से माधवराव के पुत्र केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हुए। इसी के साथ ही सिंधिया समर्थक नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमावडे़ के साथ ही पुराने भाजपाई नेता भी कार्यक्रमों में जुड़े। कांग्रेस का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी माधवराव सिंधिया के नाम को भुनाना चाहती है।कांग्रेस में सवाल किया कि इससे पहले माधवराव सिंधिया की याद भाजपा को कभी क्यों नही आई? हालांकि भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि महापुरुष और विकास पुरुष किसी दल विशेष के नहीं होते हैं। माधवराव सिंधिया ग्वालियर के साथ ही प्रदेश के विकास के लिए लगातार काम करते रहे। ऐसे में उनका सम्मान करने का हक किसी दल विशेष के पास नहीं है।

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माधवराव का जन्म 10 मार्च 1945 को हुआ था। ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से शिक्षा हासिल करने के बाद वे इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने चले गए। बाद में देश लौटे तो फिर सियासत की डगर पकड़ ली।उन्होंने राजनीति की शुरुआत जनसंघ से की थी। सन 1971 में माधवराव ने जनसंघ के टिकट पर गुना से चुनाव लड़ा और महज 26 साल की उम्र में सांसद बने। इसके बाद वे लगातार 9 बार सांसद बने। ग्वालियर चंबल अंचल डकैतों के चलते सुर्खियों में रहता था, लेकिन माधवराव के राजनीति में आने के बाद 70 से 90 में ग्वालियर चंबल की छवि बदल गई। जो ग्वालियर डकैतों के चलते बदनाम था, उस ग्वालियर अंचल में शिक्षा, खेल, हवाई और रेल विभाग के कई राष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट शुरु हुए।

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