कर्ण मिश्रा, ग्वालियर. आपने ओलंपिक, पैरा-ओलंपिक, वर्ल्ड कप जैसी प्रतियोगिताओं को देखा होगा. लेकिन आपने “एनिमल ओलंपिक” का शायद नाम भी नहीं सुना होगा. ग्वालियर जिले में भगवान जगन्नाथ की नगरी के नाम से मशहूर कुलैथ गांव में तीसरा ग्रामीण एनिमल ओलंपिक का आयोजन हुआ. जिसमें बैल, घोड़ी, भैंस जैसे पशुओं के बीच खेल स्पर्धाएं आयोजित हुई. इसमें बैलगाड़ी दौड़, घुड़दौड़, भैंसा दौड़ में जीतने वाले पशुओं को हज़ारों रुपए का इनाम भी दिया गया.
एमपी-यूपी समेत कई प्रदेश की बैल गाड़ियां पहुंची
इस खास आयोजन में मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब से भी बैल गाड़ियां भाग लेने के लिए शामिल हुईं. इसके साथ ही यहां घुड़दौड़ सहित अन्य देसी परंपरागत खेलों का भी आयोजन हुआ. करीब 25 हज़ार से ज्यादा लोग इन परंपरागत खेलों को देखने के लिए जुटे. मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां पुरस्कार वितरण किया. पढ़िए ग्वालियर के इस अनोखे “एनिमल ओलंपिक” की कहानी…
फिल्म शूटिंग जैसे लगता है नजारा
लंबे चौड़े मैदान फर्राटे भरते बैल, पूरी जान लगाकर दौड़ते घोड़े किसी फिल्म या TV सीरियल की शूटिंग जैसा नज़ारा लगता है. असल मे ये शूटिंग नही बल्कि असली दौड़ है. जी हां…ग्वालियर जिले के कुलैथ गांव में आयोजित “एनिमल ओलिंपिक” में बैल, घोड़ी और भैंसों ने अपना जलवा दिखाया. आज के दौर में जब चारों ओर टैक्नोलॉजी का बोलबाला है, मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेल जाते हैं, उस दौर में पशुओं के प्रति प्रेम बढ़ाने और परंपरागत खेलों को ज़िंदा रखने के लिए कुलैथ गांव के युवाओं ने “एनिमल ओलिंपिक” की शुरूआत की. जिसमें बैलगाड़ी दौड़, घुड़दौड़, पड़ा दौड़, कुश्ती जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है. आयोजन करने वाले युवाओं का कहना है कि इस आयोजन से लोगों में पशुओं और परम्परागत खेलों के प्रति लोगों का प्रेम और रुझान बढ़ेगा.
एनिमल ओलंपिक को लेकर गजब का उत्साह
एनिमल ओलंपिक को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह रहता है. ग्वालियर चंबल के साथ ही प्रदेश के अन्य इलाकों से भी लोग अपने जानवरों को इस प्रतियोगिता में दौड़ाने के लिए लाते हैं. पशु मालिकों का कहना है कि जिस तरह से बच्चों को मिलिट्री के लिए तैयारी कराई जाती है वैसे ही पशुओं को भी इस इस प्रतियोगिता के लिए साल भर तैयार किया जाता है. पशुओं की बेहतर खिलाई,पिलाई के साथ ही उनको रोजाना दौड़ाया जाता है ताकि वह इस प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाए. इस ग्रामीण एनिमल ओलम्पिक में शामिल जानवरों की कीमत पर गौर किया जाए तो इसमें घोड़े, भैंसे, बैल लाखों कीमत के हैं.
प्रतियोगिता देखने के लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग
यही वजह है कि कुलैथ गांव में हर साल होने वाले इस आयोजन को लेकर लोगों में जुनून भी ऐसा होता है कि पशुओं की दौड़ देखने के लिए गांव के मैदान में 25 हज़ार से ज्यादा लोगों की भीड़ जुट जाती है. 2 किलोमीटर लंबे मैदान जब बैलगाड़ियां और घुड़सवार दौड़ते हैं, तो देखने वाले भी हैरान रह जाते हैं. इस शानदार आयोजन को देखकर लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं. आसपास के किसानों से लेकर दूर के शहरों से भी लोग इस प्रतियोगिता को देखने के लिए पहुंचते हैं. मैदान खचाखच भर जाता है तो बाहर से आने वाले लोग ट्रक, ट्रैक्टर और वाहनों की छत पर बैठकर लुत्फ लेते हैं. लोगों का कहना है कि यह खेल विलुप्त होते जा रहे हैं ऐसे में अब सरकार को भी इन खेलों को जिंदा रखने के लिए आगे आना पड़ेगा.
विधानसभा अध्यक्ष हुए शामिल
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर कुलैथ गांव में आयोजित एनिमल ओलंपिक देखने के लिए पहुंचे. नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां बैलगाड़ी दौड़ का लुफ्य उठाया. इसके बाद विजेता रहे प्रतिभागियों को तोमर ने पुरस्कार दिए. विधानसभा अध्यक्ष तोमर ने कहा कि परंपरागत खेल भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं, इन खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य और केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है.
एनिमल ओलंपिक बना मिसाल
आज देश में जहां क्रिकेट का बोलबाला है और हॉकी और फुटबॉल जैसे खेल भी अपनी चमक बिखेर रहे हैं. वहीं तकनीकी दौर में जब लोग ऑनलाइन गेम खेलते- देखते हैं उस दौर में इस तरह के परम्परागत ग्रामीण खेल मन को सुकून भी देते हैं. ऐसे में जहां एक ओर भारत के परंपरागत खेल बैलगाड़ी दौड़, घुड़ दौड़ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं. वहीं ग्वालियर में आयोजित एनिमल ओलंपिक प्रदेश में मिसाल बन गया है.
ग्वालियर से कर्ण मिश्रा की स्पेशल रिपोर्ट…
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