कपिल मिश्रा, शिवपुरी। मध्य प्रदेश में आज लोकतंत्र के त्यौहार में सभी जनता ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। दिग्गज नेताओं से लेकर जनता अपना प्रत्याशी चुनने के लिए मतदान केंद्र में नजर आई। बालिग़ से लेकर बुजुर्ग बड़ी संख्या में अपने मताधिकार का प्रयोग करने नजर आए। लेकिन प्रदेश का एक मतदान केंद्र ऐसा भी देखने को मिला है जहां पर वोट डलवाने के लिए अफसरों को कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ा। इस पोलिंग बूथ पर मात्र 19 मतदाता पहुंचे।
दरअसल शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा क्षेत्र के नरवर तहसील से यह मामला सामने आया है। यहां के केरुआ गांव में ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया। इसके चलते दो पोलिंग बूथों पर न के बराबर मतदान हो सका। ग्रामीणों का आरोप था कि पूर्व में क्षेत्र में नहर नहीं बनने को लेकर कई बार आवेदन दिए प्रशासन को गए थे। लेकिन हमारी न तो शासन ने सुनी और न ही प्रशासन आज तक नहर बनाने की समस्या का समाधान कर पाया। इसी के चलते हम सभी केरुआ गांव के ग्रामीणों ने फैसला लिया है कि हम तब तक मतदान नहीं करेंगे जब तक हमारे ग्राम में विकास एवं पानी की नहर नहीं बन जाती।
बता दें कि केरुआ गांव दो मतदान क्रमांक 25 और क्रमांक 26 बनाये गए थे। जहां वोटो की संख्या 1583 है। जिसमें 837 पुरुष और 746 प्रदेश की महिला वोटर हैं। मतदान केंद्रों पर मौजूद पीठासीन अधिकारी के अनुसार दोपहर दो बजे तक क्रमांक 25 पर 985 वोटों में से 4 वोट और क्रमांक 26 पर 598 वोटों में से मात्र 15 वोट डाले गए हैं। कैरुआ गांव में ग्रामीणों का वोट बहिष्कार का साफ तौर पर असर दिखाई दे रहा है।
बता दें कि शासन और प्रशासन ने शत-प्रतिशत मतदान के लिए जागरूकता अभियान चलाया था जिसमें कई लाखों रुपए खर्च हुए थे। निर्वाचन आयोग ने 90 प्रतिशत मतदान वाले बूथ को इनाम देने की घोषणा की थी। लोकतंत्र के इस महापर्व में लोगों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया लेकिन फिर भी ग्रामीणों ने इसका मजाक बना दिया और अपनी मांगों को पूरा न करने पर वोट न डालने का आंदोलन छेड़ दिया।
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