सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी में प्रदूषण पर एनजीटी ने सख्ती की है। प्रदेश के 11 जिलों के कलेक्टर और 14 नगरी निकायों के अधिकारियों को नोटिस भेजा है। जिसमें प्रदूषण को लेकर 30 दिनों में 10 बिंदुओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया हैं।
नर्मदा नदी में नाले और मलजल मिलने के कारण हो रहे प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने सख्ती दिखाई है। बुधवार यानी 20 सितंबर को भोपाल स्थित सेंट्रल बेंच में सुनवाई के दौरान 11 जिलों के कलेक्टर और 14 नगरीय निकायों के अधिकारियों को जिम्मेदार मानते हुए एक नोटिस भेजा है। जिसमें 30 दिनों में जवाब देने की बात कही हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि गुजरात में रहने वाले कीर्ति सचदेव भट्ट ने वहां के हाइकोर्ट में नर्मदा प्रदूषण को लेकर एक याचिका लगाई थी। जिसमें उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी का जो पानी गुजरात में बहकर जाता है, इस पर सौराष्ट्र समेत आसपास की बड़ी आबादी निर्भर है, लेकिन गुजरात पहुंचते तक यह पानी इतना प्रदूषित हो जाता है कि इसे पीने में उपयोग नहीं किया जा सकता।
क्योंकि नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के अमरकंटक से बहती है और इसका 80 प्रतिशत हिस्सा मप्र में है। हाइकोर्ट ने इस याचिका को एनजीटी को ट्रांसफर किया था। वहीं अब इसकी सुनवाई भोपाल स्थित एनजीटी की सेंट्रल जोन की बेंच में की जा रही है। मामले में एनजीटी ने चार अन्य लोगों को भी प्रतिवादी बनाया है।
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