बीडी शर्मा, दमोह। मध्य प्रदेश में कल 15 अगस्त को आजादी का उत्सव मनाया गया। दमोह में स्वतंत्रता दिवस समारोह में मीसाबंदी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था। लेकिन वहां उस वक्त हड़कंप मच गया जब मंत्री एक मीसाबंदी का सम्मान करते रहे और बुजुर्ग ने इससे इनकार कर दिया और वहां से चले गए।
मामला दमोह के तहसील ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में प्रभारी मंत्री और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदर सिंह परमार मीसाबंदी का सम्मान कर रहे थे। जैसे ही मीसाबंदी संतोष भारती का नंबर आया, उन्होंने सम्मान लेने से साफ इंकार कर दिया। मंत्री और कलेक्टर सुधीर कोचर के मनाने के बावजूद संतोष भारती नहीं माने और मंत्री को भ्रष्टाचार के खिलाफ ज्ञापन वहा से चले गए। जब इस मामले में प्रभारी मंत्री से पूछा गया तो वह भी जवाब देने से बचते हुए निकल गए।
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संतोष भारती के अनुसार, 40 साल पहले उन्हें सरकार ने एक छोटा सा मकान आवंटित किया था। लेकिन अब तक उसकी रजिस्ट्री नहीं हुई। इस दौरान उन्होंने हर स्तर पर कोशिश की। यहां तक कि हाईकोर्ट से भी मामला जीत लिया फिर भी कार्रवाई नहीं हुई। वहीं उन्होंने मंत्री के पेश किए गए जीके के विकास रोडमैप को झूठा बताया। उनका कहना है कि असलियत में यह सिर्फ जनता को गुमराह करने की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह डॉक्यूमेंट इलाके के बुद्धिजीवियों की राय से तैयार बताया जा रहा है, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है।
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