संदीप अखिल, रायपुर/भोपाल। ऋग्वेद से ली गई एक संस्कृत सूक्ति “सम गच्छध्वं सम वदध्वं” जिसका अर्थ है कि हम सब एक साथ चलें, एक साथ बोलें, और हमारे मन एक हों। यह संस्कृत सूक्ति एकता, सामंजस्य और आपसी समझ की भावना को बढ़ावा देने वाला है, ठीक वैसे ही जैसे प्राचीन देवता अपने-अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ काम करते थे। इसी भावना के साथ काम करते हुए मध्यप्रदेश आज एक ऐसे दौर में प्रवेश कर गया है जिसे “मोहन युग” कहा जा सकता है।

शून्य आधारित बजटिंग-त्रिवर्षीय रोलिंग बजट से बदलेगा मध्यप्रदेश का परिदृश्य

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आने वाले वर्षों के लिए राज्य को विकसित मध्यप्रदेश 2047 की दृष्टि से तैयार करने का जो संकल्प लिया है, वो देश के अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय है। इस संकल्प का आधार है-शून्य आधारित बजटिंग (Zero Based Budgeting) और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट (Three-Year Rolling Budget)। प्रदेश में यह पहल न केवल वित्तीय अनुशासन लाने वाली है, बल्कि यह सुनिश्चित करने वाली भी है कि हर खर्च सीधे तौर पर जनता की आवश्यकताओं और राज्य की प्राथमिकताओं से जुड़ा हो।

बजट दोगुना करने का संकल्प

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह लक्ष्य रखा है कि अगले पांच वर्षों में प्रदेश का बजट दोगुना कर दिया जाएगा। यह कोई साधारण घोषणा नहीं है क्योंकि इसके पीछे ठोस रणनीति है। उनका मानना है कि “बजट केवल कागजों पर बने आंकड़े न हों, बल्कि उसका शत-प्रतिशत व्यावहारिक उपयोग हो-इसके लिए नई पद्धति अपनाई जा रही है।

शून्य आधारित बजटिंग

पारंपरिक बजटिंग में पिछले वर्षों के खर्च को आधार बना कर नया बजट बनाया जाता है। इसमें कई बार पुरानी योजनाएं बिना मूल्यांकन के ही जारी रहती हैं। लेकिन शून्य आधारित बजटिंग में हर योजना को शून्य से शुरू किया जाएगा। इसमें प्रत्येक योजना को यह सिद्ध करना होगा कि वह वर्तमान समय में कितनी उपयोगी है। जिन योजनाओं का कोई असर नहीं है वे स्वतः समाप्त हो जाएंगी। समान प्रकृति की योजनाओं को मिलाकर संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने इस पद्धति को अपनाकर वित्तीय अनुशासन और गुड गवर्नेंस को मज़बूती दी है। मध्यप्रदेश अब भारत में इस दिशा में अग्रणी राज्य बनकर सामने आ रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दिशा निर्देश पर मध्य प्रदेश सरकार अब पहली बार तीन साल का रोलिंग बजट तैयार कर रही है। वर्ष 2026-27, 2027-28 और 2028-29 के लिए अग्रिम बजट बनेगा। हर वर्ष इसकी समीक्षा होगी और इसमें अगले साल का अनुमान जोड़ा जाएगा। इससे योजनाएं दीर्घकालिक दृष्टि से तैयार होंगी। डॉ मोहन सरकार में अपनाई जाने वाली यह प्रणाली कॉर्पोरेट जगत में पहले से ही सफल मानी जाती रही है। इसे एक दूरदर्शिता पूर्ण पहल माना जा रही है।

समयबद्ध और पारदर्शी प्रक्रिया

  • मध्य प्रदेश सरकार ने बजट निर्माण के लिए विस्तृत टाइमलाइन तय की है।
  • जुलाई से प्रारंभिक चर्चा और प्रशिक्षण।
  • 15 से 30 सितंबर तक विभागवार बैठकें।
  • 1 से 15 नवंबर तक द्वितीय चरण चर्चा।
  • दिसंबर-जनवरी में मंत्री स्तरीय बैठकें।
  • 31 मार्च 2026 तक अंतिम समायोजन प्रस्ताव।

इस प्रक्रिया के बाद किसी भी प्रस्ताव को पोर्टल पर दर्ज करने की अनुमति नहीं होगी। इसका मतलब है कि पूरी प्रणाली समयबद्ध और जिम्मेदाराना होगी।

वित्तीय अनुशासन और सामाजिक न्याय

सामाजिक न्याय और पारदर्शिता को आधार बना कर नई पद्धति लागू की जाने वाली है अब यह सिर्फ़ आंकड़ों का खेल नहीं होगा। इसमें अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 16% और अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 23% बजट अनिवार्य रूप से रखा जाएगा।वेतन, भत्ते और पेंशन जैसी स्थायी मदों की गणना में विशेष सावधानी बरती जाएगी। संविदाकर्मियों के वेतन में 4% वार्षिक वृद्धि और महंगाई भत्ते के लिए क्रमशः 74%, 84% और 94% की दरों को आधार माना जाएगा। केंद्र सरकार से सीधे मिलने वाले फंड को भी राज्य बजट प्रस्तावों में शामिल किया जाएगा।
बजट प्रबंधन में पारदर्शिता और लक्ष्यबद्धता के लिए ऑफ-बजट व्यय और नई योजनाओं का वित्तीय असर भी बजट में साफ़-साफ़ दिखाना होगा।

विकसित मध्यप्रदेश 2047- एक दूरदर्शी पहल

राज्य सरकार के इस पहल का असर प्रदेश के भविष्य पर भी पड़ने वाला है। विकसित मध्यप्रदेश 2047 की परिकल्पना साकार होने के परिणाम स्वरूप प्रदेश में औद्योगिकीकरण को गति मिलेगी। राज्य में रोजगार सृजन होगा।आधारभूत संरचनाओं का विस्तार होगा। राज्य का सामाजिक न्याय और समावेशी विकास होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह प्रयास है कि प्रदेश न केवल आर्थिक वृद्धि करे बल्कि यहां का हर नागरिक विकास की मुख्यधारा से जुड़े।

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में महत्व

देश के अधिकांश राज्य आज भी पारंपरिक बजटिंग पद्धति पर निर्भर हैं। मध्यप्रदेश का यह कदम वित्तीय सुधारों की दिशा में गेम चेंजर साबित हो सकता है। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो आने वाले वर्षों में अन्य राज्य और केंद्र सरकार भी इस पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।मध्यप्रदेश का यह नया प्रयोग केवल बजट बनाने की तकनीक बदलना नहीं है बल्कि शासकीय प्रणाली में पारदर्शिता, अनुशासन और जनता की भागीदारी को सुनिश्चित करने का साहसिक कदम है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की दूरदर्शी सोच ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब हर खर्च का हिसाब जनता के हित और विकास की प्राथमिकताओं से सीधे जुड़ा होगा।

“मोहन युग” की यह पहल आने वाले वर्षों में मध्यप्रदेश को विकसित भारत की परिकल्पना का अग्रणी राज्य बनाएगी। शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट का यह मॉडल न केवल वित्तीय अनुशासन लाएगा, बल्कि “विकसित मध्यप्रदेश 2047” की मजबूत नींव भी रखेगा। शून्य आधारित बजटिंग और रोलिंग बजट केवल तकनीकी बदलाव नहीं हैं बल्कि यह सरकार की उस नीयत को दर्शाती है जो हर योजना का मूल्यांकन और जनता की प्राथमिकताओं पर जोर देती है।

लेखक- संदीप अखिल, सलाहकार संपादक, न्यूज़ 24/लल्लूराम डॉट कॉम

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