कुमार इंदर/अजयारविंद, शहडोल. कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को दोपहर मध्यप्रदेश पहुंचे. राहुल गांधी ने शहडोल के ब्यौहारी में कांग्रेस जन आक्रोश आमसभा को संबोधित किए. इस दौरान राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि आडवाणी जी का मानना था कि BJP-RSS की असली प्रयोगशाला गुजरात में नहीं, मध्य प्रदेश में है. BJP-RSS की इस प्रयोगशाला में मरे हुए लोगों का इलाज किया जाता है.
राहुल गांधी ने कहा, ”महाकाल लोक में शिव जी से चोरी की जाती है. बच्चों के मिड-डे मील से चोरी की जाती है. व्यापम घोटाला होता है, MBBS की सीट बेची जाती है. पटवारी बनने के लिए 15 लाख की रिश्वत देनी पड़ती है. हर रोज 3 किसान खुदकुशी करते हैं. किसानों को गोली मारी जाती है. भोपाल में एक लड़की का रेप होता है और उसे बचाने की कोशिश में भाई की पुलिस के सामने हत्या कर दी जाती है. BJP का एक नेता आदिवासी के ऊपर पेशाब करता है.”
राहुल गांधी ने जनसभा में मौजूद लोगों से पूछा आदिवासी और वनवासी में क्या फर्क है? हम आपको आदिवासी कहते हैं. आदिवासी शब्द का मतलब- हिंदुस्तान के वासी. जो देश में पहले आए थे, जो इस ज़मीन के असली मालिक हैं. हिंदुस्तान की जमीन, जल, जंगल पर आदिवासियों का सबसे पहला हक बनता है. BJP आपको वनवासी कहती है. जिसका मतलब है- आपका इस जमीन पर हक नहीं है. आप तो जंगल में रहते हैं.
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राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस खोखले वादे नहीं करती. हम PESA कानून लाए, वन अधिकार कानून लेकर आए. हमने कानून बनाया था कि- अगर किसी उद्योगपति को आदिवासी की जमीन चाहिए, तो उसे ग्राम सभा के सामने हाथ जोड़कर जमीन मांगनी होगी. लेकिन BJP ने इस PESA कानून को रद्द कर दिया. BJP सरकार ने आपको डरा-धमकाकर, हिंसा के बल पर आपसे आपकी जमीन छीन ली. मैं आपको गारंटी देता हूं- जो आपका हक है, हम उसे आपको जरूर लौटाएंगे.
राहुल गांधी ने कहा कि मध्य प्रदेश की धरती पिछले 18 साल से किसान आत्महत्या, बेलगाम भ्रष्टाचार और आदिवासियों के अपमान का बोझ उठा रही है. लेकिन अब और नहीं… आने वाले चुनाव में मध्य प्रदेश की जनता BJP सरकार को करारा जवाब देगी. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर भारत सरकार 100 रुपए खर्च करती है तो OBC वर्ग के अफसर सिर्फ 5 रुपए का निर्णय लेते हैं. अब आप ये बताइए अगर भारत सरकार 100 रुपए खर्च करती है तो आदिवासी अफसर कितने रुपए का निर्णय लेते हैं?…आदिवासी अफसर 100 रुपए में से सिर्फ 10 पैसे का निर्णय लेते हैं…आदिवासी वर्ग का इससे बड़ा अपमान नहीं किया जा सकता.
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