कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में भीषण गर्मी से इंसान, जानवर सब परेशान हैं। इस मौसम में सबसे ज्यादा अगर किसी चीज की जरुरत है तो वह है बिजली। साथ ही प्रदेश के विकास में काम कर रहे उद्योगों को भी विद्युत की जरुरत काफी होती है। लेकिन प्रदेश की बिजली कंपनियों का एक कारनामा सामने आया है जहां वे मध्य प्रदेश वासियों की बिजली की आपूर्ति करने के बजाय दूसरे राज्यों को बेच रहे हैं। वह भी 2 रुपए प्रति यूनिट की कम कीमत पर। 400 करोड़ की बिजली दूसरे राज्यों को सप्लाई की गई है। यह मामला उजागर होने के बाद कंपनियों की निति पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों ने भीषण गर्मी में भी दूसरे राज्यों को 400 करोड़ की बिजली बेच दी। 84.20 करोड़ यूनिट उद्योगों और दूसरे प्रदेशों को बेचा गया है। खुलासा हुआ है कि एक पक्षीय समझौता और पावर एक्सचेंज के तहत प्रदेश सरकार ने बिजली बेची है। अन्य राज्यों से नगदी में खरीदने और विद्युत कंपनियों के द्वारा उधारी में 1.25 पैसे रेट बढ़ाकर दूसरे राज्यों को बेचने की जानकारी सामने है। बिजली मामलों के जानकार एडवाकेट राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश के उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत पर बिजली देकर सस्ते में दूसरे राज्यों को बिजली बेची जा रही है।
मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी की नीतियों पर बिजली के जानकारों ने सवाल उठाए हैं। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं के लिए 4.58 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली बेचने का प्रावधान किया था। विद्युत नियामक आयोग के निर्देशों के विपरीत राज्य के उपभोक्ताओं को 7 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली की आपूर्ति हो रही है। उन्होंने वकालत की है कि प्रदेश में यदि बिजली सरप्लस है तो इसका लाभ राज्य के उपभोक्ताओं को दिया जाए। ऐसी नीतियां बनाई जाए ताकि प्रदेश के उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर बिजली मिले।
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