भूपेन्द्र भदौरिया, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जीवाजी विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह में राज्यपाल मंगूभाई पटेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, कुलपति अविनाश तिवारी शामिल हुए। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने जीवाजी विश्वविद्यालय के 56 से अधिक टॉपर छात्र- छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किए और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

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राज्यपाल मंगू भाई पटेल दो दिवसीय दौरे पर ग्वालियर आए हुए हैं। शनिवार यानी 26 अगस्त को उन्होंने ग्वालियर सेन्ट्रल जेल में “बंदी से बंधु तक” कार्यक्रम का शुभारंभ किया थे। आज दौरे के दूसरे दिन उन्होंने ग्वालियर की जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने जीवाजी विश्वविद्यालय के 56 से अधिक टॉपर छात्र- छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किए और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। जीवाजी विश्वविद्यालय की दीक्षांत समारोह में मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव भी शामिल हुए।

वहीं दीक्षांत समारोह में उपाधि पाने वाले अभ्यर्थियों के परिजनों और शिक्षकों को राज्यपाल ने बधाई दी। राज्यपाल पटेल आज दिन भर विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे और शाम 4 बज कर 30 मिनट पर विजयाराजे सिंधिया विमानतल महाराजपुरा पहुंचकर वायुमार्ग द्वारा भोपाल के लिए प्रस्थान करेंगे।

जीवाजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में 61 वर्षीय बुजुर्ग ने भी MA ज्योतिष विज्ञान संकाय में गोल्ड मेडल हासिल किया। ग्वालियर के यशोदा रेजिडेंसी के रहने वाले नितिन कुलकर्णी 61 साल के हैं, वह पेशे से सिविल इंजीनियर हैं। लेकिन उनकी रुचि ज्योतिष विज्ञान में है। इसलिए उन्होंने जीवाजी विश्वविद्यालय में MA ज्योतिष विज्ञान संकाय में प्रवेश लेकर न केवल अपनी डिग्री कंप्लीट की बल्कि अपने जीवन में पहली बार गोल्ड मेडल हासिल किया।

उन्होंने अपनी उम्र की बुजुर्ग व्यक्तियों से भी अपील की है कि वह भी किताबों से दोस्ती करें। बढ़ती उम्र में महसूस होने वाला खालीपन और अकेलेपन का उन्हें यह किताबें एहसास ही नहीं होने देगी। विश्वविद्यालय की एक अन्य छात्रा साक्षी राठौर को भी विश्वविद्यालय टॉप करने पर उन्होंने चार गोल्ड मेडल हासिल किए हैं।

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वहीं साक्षी जीवाजी विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ लाइब्रेरी साइंस में टॉप किया है। साक्षी राठौर का सपना है कि वे ग्वालियर की जीवाजी विश्वविद्यालय में बतौर प्रोफेसर यहां नौकरी पा सकें, इसके लिए उन्होंने प्रयास शुरू कर दिए हैं। साक्षी राठौर ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और अपने गुरुजनों को दिया है। साक्षी के पिता राजस्व विभाग में नौकरी करते हैं।

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