कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। कहते है कि एक छोटा सा प्रयास अगर पूरी मेहनत के साथ करे तो सफलता हासिल करने से भी कोई रोक नहीं सकता। ग्वालियर जिले के डबरा में रहने वाले जितांक गुर्जर ने भी कुछ ऐसा ही किया है। उनके द्वारा ग्वालियर शहर से सटे ग्रामीण इलाके बरई के जंगल में शूट फिल्म ‘बासन’ को कान्स वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट इंडी फीचर फिल्म अवार्ड के साथ कुल 5 अवार्ड मिले है।

बता दें कि इस फिल्म को महज एक लाख रुपए के खर्च में तैयार किया गया। फिल्म को बनाने वाले डायरेक्टर डबरा के रहने वाले जितांक गुर्जर है। एक वक्त था, जब जितांक का परिवार उसके थिएटर के शौक से काफी नाराज था और उसे एक्टिंग सीखने से मना करता था। लेकिन, आज उनकी यही लगन उन्हें वैश्विक मंच पर पहचान दिला रही है।

उनकी फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय कान्स वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट इंडी फीचर फिल्म का अवार्ड मिला है। इसके अलावा कई और अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार उनकी फिल्म लगातार हासिल कर रही है। खास बात यह है कि इस फिल्म में सभी कलाकार ग्वालियर के ही रहने वाले है।

बासन फ़िल्म को मिले है अब तक इतने अवार्ड

  • कांस वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट इंडीइन फीचर फिल्म का अवार्ड हासिल किया है।
  • फ्रांस में इंडो फ्रेंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 5 अवॉर्ड्स फिल्म ने अपने नाम किए हैं।
  • -बेस्ट इंडियन फीचर फिल्म
  • -बेस्ट डायरेक्टर
  • -बेस्ट स्क्रीनप्ले
  • -बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर
  • -बेस्ट ट्रेलर
  • अथविकवरुणी फिल्म फेस्टिवल(तमिल नाडु) में 2 अवॉर्ड्स जीत चुकी है।
  • -बेस्ट डायरेक्टर
  • -बेस्ट इंडियन फीचर फिल्म
  • सऊदी अरेबिया इंटरनेल्शनल फिल्म फेस्टिवल में भी हासिल किए आवर्ड।
  • -बेस्ट डायरेक्टर
  • -बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म
  • -बेस्ट एक्टर
  • -बेस्ट ओरिजनल म्यूजिक
  • रोम प्रिस्मा फिल्म अवार्ड में फाइनलिस्ट में टॉप 6 में जगह बनाई।
  • यूनाइटेड किंगडम में लिफ्ट ऑफ फिल्म सेशन में सिलेक्शन हुआ

फिल्म को अवॉर्ड मिलने से जितांक बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया की वो यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन मन एक्टर और डायरेक्टर बनने में लगा था। इसलिए थिएटर में काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि एक दिन पिताजी ने थिएटर शो भी देखा लेकिन पिता ने कहा, आज के बाद वह कभी थियेटर भी नहीं जाएंगे। चोरी चोरी वह घर से निकलकर अपने दोस्तों के साथ फिल्म के लिए काम करने लगे।

जितांक ने बताया कि आखिरकार उनकी मेहनत को मुकाम हासिल हुआ है। आगे कई और ऐसे ही प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है। जितांक ने यह भी बताया कि बासन की जंगल में शूटिंग के दौरान वह गांव में पूरी टीम के साथ मंदिर में रहे। क्योंकि, होटल में ठहरने लायक उनके पास पैसे नहीं थे। पूरी टीम को रोजाना खाना खिलाने के लिए ग्रामीणों की मदद से ही खाना भी बनवाया।

क्या हैं फिल्म की कहानी
फ़िल्म की कहानी पर गौर किया जाए तो बासन फिल्म कई लोक कथाओं और धारणाओं पर आधारित है, जिसमें दो भाइयों की कहानी है। दोनों भाइयों में से एक सीधा सादा है तो दूसरा लालची स्वभाव का। एक दिन सीधे वाले भाई को जंगल में एक चेतना पुकारती है, जिसे देहात में ‘माया’ कहा जाता है (माया गडे़धन को भी कहा जाता है), तब वह डर जाता है। धन की आवश्कता होते हुए भी वह उसके करीब नहीं जाता। पर दूसरे भाई को पता चलता है, तो वह उस ओर चला जाता है। इसके बाद कई नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ते हैं। सन्देश यही है कि मजबूरी कितनी भी असहाय कर दें लेकिन लालच हमेशा बुरा ही होता है।

जितांक पिछले 11 साल से थिएटर और फिल्म लाइन में एक्टिव है। उन्होंने ग्वालियर के परिवर्तन थिएटर ग्रुप के साथ शुरुआत की थी। उसके बाद वह दिल्ली पहुंचे जहां उन्होंने एक्टिंग और डायरेक्टर के काम को बारीकी से समझा। एक लंबे वक्त बाद उन्होंने “फिल्मकथा स्टूडियो” खुद का शुरू किया और उसके जरिए एडिटिंग, सिनेमैटोग्राफी, स्क्रिप्टिंग, राइटिंग, डायरेक्शन और फिल्म मेकिंग से जुड़े कामों को शुरू कर दिया।

कई एड फिल्म, म्यूजिक वीडियो, डॉक्युमेंट्रीज के साथ मिनिस्ट्री ऑफ़ टूरिज्म के लिए छोटे-छोटे काम भी किए। इसके बाद अब बासन जैसी फिल्म तैयार कर देश दुनिया में देश प्रदेश के साथ ग्वालियर और डबरा का नाम रोशन किया है। गौरतलब है कि 2 दिन पहले ही उन्हें जीते गए अवार्ड के सर्टिफिकेट मेल के जरिए भेजे गए हैं। दिसंबर में होने वाले समारोह में उन्हें फ्रांस बुलाया जाएगा जिसमें फिल्म की स्क्रीनिंग भी होगी।

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